मोहर्रम पर हुसैनी रंग
बाड़मेर/बालोतरा
या हुसैन हम नहीं थे.... की आवाज के साथ ही रविवार को शहर के मुख्य मार्गों पर मुस्लिम समुदाय की ओर से ताजिया निकाल हसन और हुसैन की कुर्बानी को याद किया। मातम का पर्व मोहर्रम शहर में अकीदत के साथ मनाया गया। इस पर्व पर बड़े, बूढ़े तथा बच्चों ने भाग लेकर धर्म के नाम पर दी कुर्बानी को याद किया। ताजिया का जुलूस रविवार सुबह दस बजे कुरैशियों के मोहल्ले से सिपाहियों के मोहल्ले से रवाना होकर बावड़ी में शाम चार बजे तक पहुंचा। उसके बाद कोटवालों के मोहल्ले से होते हुए फकीरों का कुआं से करबला के मैदान पहुंचा। शनिवार की रात को कत्ल की रात के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर मुसलमानों ने ताजिये निकाल रस्म की अदायगी की। जिन-जिन मार्गों से ताजिये गुजरे वहां मुस्लिम महिलाओं ने अपने छोटे बच्चों को ताजिये छुआ कर उनके स्वस्थ एवं तंदरुस्त रहने की मन्नत मांगी गई। जुलूस के आगे मुस्लिम युवक गले में डाले बड़े बड़े ढोल बजाते हुए चल रहे थे। इसके आगे युवक हाथों में लाठियां लेकर आपस में दंड युद्ध के कौशल का प्रदर्शन करते हुए चल रहे थे। मोहर्रम के अवसर पर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने रोजे रखकर इबादत की। इस दौरान शहर में शांति एवं व्यवस्था बनाए रखने को लेकर पूरे शहर में सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद रही। जुलूस के दौरान शांति व्यवस्था बनी रही।
हुसैन की शहादत में उमड़े मोमीन
सच्चा मुसलमान वही है जो अजान सुनकर नमाज की ओर बढ़ता है। सुन्निओं हुसैन बनो और हुसैनी औलाद बनाओ। बच्चों और पड़ोसियों से मोहब्बत करो चाहे वह गैर मुस्लिम ही क्यों न हो। खुदा तुम्हारी हर मुराद पूरी करेगा। यह बात हसनैन तेलियान अंजुमन कमेटी की ओर से आयोजित 'जश्ने शहीद ए आजम कार्यक्रम' के मुख्य वक्ता उत्तर प्रदेश मुरादाबाद के मुकर्र मौलाना फुरकान अहमद कादरी ने तेलियों का वास में कही। इस मौके पर मुस्लिम भाईयों ने शिरकत कर शबाब ए दारेन हासिल किया।कादरी ने हुसैन की शहादत को ताउम्र जिंदा बताते हुए कहा कि मुसलमानों बतलाओ कि किसकी जीत है और किसकी हार है। हुसैन की आज भी मजार है। बीकानेर के पीर सैयद मंजूर हसन कादरी ने कहा कि मुसलमान बहिनों को अकीदे के साथ पेश आना चाहिए। जो नमाज की पाबंदी करेगा, उस पर अमल करेगा। खुदा उसके गुनाह माफ कर उसकी राह आसान कर देगा। जैसलमेर के कारी सफरूदीन ने 'ताज दारे हरम, निगाहें करम, हम गरीबों के दिन भी संवर जाएंगे' इंदिरा कॉलोनी के मौलाना जूनैद रजा ने 'हमारी सुबह जिंदा है, हमारी शाम जिंदा है। हमारे दिलों में नबी शान जिंदा है' नात ए शरीफ पेश की।
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