तृणमूल का अविश्वास प्रस्ताव नामंजूर
नई दिल्ली।
लोकसभा ने गुरूवार को तृणमूल कांग्रेस के केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया। तृणमूल कांग्रेस सरकार की बहु-ब्रांड खुदरा में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) को अनुमति देने सहित अन्य नीतियों के मुद्दे पर उसके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना चाहती थी।
ममता का कहना है कि उनके यूपीए से समर्थन वापिस लेने के बाद यह सरकार अल्पमत में है। वहीं कांग्रेस ने विपक्ष को ललकारा है कि वह सरकार को धराशायी करने के लिए परोक्ष हथकंडे अपनाने के बजाए सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाए उसे परास्त करने के लिए दमखम आजमा ले।
मल्टी ब्रांड रिटेल में विदेशी पूंजी के मुद्दे पर मतविभाजन की व्यवस्था के तहत प्रस्ताव लाने के मुद्दे पर कन्नी काटती दिखाई दे रही कांग्रेस ने कहा कि विपक्ष यह तय नहीं कर सकता कि किस नियम के तहत चर्चा होनी चाहिए।
कांग्रेस प्रवक्ता पीसी चाको ने कहा कि विपक्ष किसी भी मुद्दे पर चर्चा का प्रस्ताव दे सकता है लेकिन उस पर किस नियम के तहत चर्चा हो,इसका फैसला स्पीकर को लेना है। यह पूछने पर कि सरकार एफडीआई के मुद्दे पर मतविभाजन के प्रस्ताव से क्यों कतरा रही है,चाको ने कहा कि सवाल किसी मुद्दे से घबराने का नहीं है। विपक्ष की मंशा यदि सरकार को सदन के पटल पर परास्त करने की है तो वह अविश्वास प्रस्ताव ले आए। लेकिन विपक्ष सरकार को घेरने के लिए परोक्ष और अनैतिक हथकंडे अपना रहा है।
भाजपा नेता प्रकाश जावडेकर और राजीव प्रताप रूढी द्वारा वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिए जाने की ओर ध्यान दिलाए जाने पर चाको ने कहा कि यह नोटिस तो पहले चरण के पार भी नहीं जा पाएगा।
विपक्ष भी तैयार -
विपक्षी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन तथा वाम दलों ने घोषणा की है कि वे एफडीआई पर मतदान के प्रावधान वाले नियम के तहत चर्चा कराने की मांग करेंगे जबकि सरकार इसके लिए तैयार नहीं लगती। उसका कहना है कि शासकीय आदेश होने के कारण इस मुद्दे पर चर्चा तो कराई जा सकती है लेकिन उस पर मतदान कराना उचित नहीं होगा। इसे लेकर संसद के दोनों सदनों में सरकार और विपक्ष में टकराव होना तय है।
कुछ समय पहले तक सरकार का हिस्सा रही तृणमूल कांग्रेस इस सत्र के दौरान सरकार के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाना चाहती थी लेकिन उसे फिलहाल अन्य दलों से समर्थन नहीं मिल पाया है। तृणमूल एफडीआई के मुद्दे पर ही सरकार से अलग हुई थी। सरकार को पहली बार संसद में उसके सीधे विरोध का सामना करना पडेगा। सरकार ने तृणमूल की धमकियों की परवाह नहीं करते हुए कहा है कि वह संसद में अविश्वास प्रस्ताव समेत किसी भी चुनौती का सामना करने को तैयार है। लेकिन संप्रग के प्रमुख घटक द्रविड मुनेत्र कषगम (द्रमुक) ने एफडीआई के मुद्दे पर ससपेंस बना रखा है।
सरकार अपनी पहली जीत सदन के सुचारू संचालन में देख रही है क्योंकि पूरा का पूरा मानसून सत्र कोयला घोटाले की भेंट चढ़ गया था। सरकार ने कहा है कि विपक्ष यदि उसे किसी भी मुद्दे पर घेरना चाहता है तो उसे कोई आपत्ति नहीं है। उसकी आपत्ति सदन नहीं चलने देने पर है। वह किसी भी मुद्दे पर नियमों के तहत चर्चा कराने को तैयार हैं।
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