जगी संसद चलने की उम्मीद 
नई दिल्ली। 
मल्टी ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के मुद्दे पर संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन से बने गतिरोध को समाप्त करने के प्रयास में सरकार ने बुधवार को संकेत दिया कि वह दोनों सदनों में मत विभाजन वाले नियमों के तहत इस विषाय पर चर्चा कराने को तैयार है। अगले हफ्ते मंगलवार और बुधवार को यह बहस हो सकती है।भाजपा के मत विभाजन वाले नियमों के अंतर्गत ही चर्चा कराए जाने पर अड़े रहने पर संसदीय मामलों के मंत्री कमलनाथ ने लोकसभा में विपक्ष की नेता सुष्ामा स्वराज और राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरूण जेटली से मुलाकात की। इनसे बातचीत के बाद कमलनाथ ने कहा,"संसद को चलाने के हित को देखते हुए पीठासीन अधिकारी कोई भी फैसला (किसी भी नियम के तहत चर्चा कराने का) कर सकते हैं।" इस मुलाकात से पहले वे लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार और राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी से भी मिले।

बहुमत का भरोसा
कमलनाथ ने बहुमत का विश्वास जताते हुए कहा,"सरकार के लिए संख्या चिंता की बात नहीं है। सदस्य इतने परिपक्व हैं कि वे एफडीआई के पक्ष में निर्णय करेंगे।"उन्होंने विपक्ष के इस आरोप से इनकार किया कि संख्या बल जुटाने के प्रयास में सरकार ने शीतकालीन सत्र के पहले चार दिन बर्बाद किए।

सरकार पर विपक्ष के आरोप -
विपक्ष के नेताओं ने उनसे मिलने आए कमलनाथ से स्पष्ट कर दिया कि वे केवल उसी नियम के तहत चर्चा कराने पर राजी होंगे जिसमें बहस के बाद मत विभाजन का प्रावधान होगा। जेटली और सुष्ामा ने संसदीय कार्यमंत्री से यह शिकायत भी की कि एफडीआई मामले में कोई निर्णय करने से पहले सभी राजनीतिक दलों और राज्यों के मुख्यमंत्रियों सहित संबंधित हितधारकों से चर्चा करने के संसद के दोनों सदनों में दिए गए अपने आश्वासन का सरकार ने सीधा उल्लंघन किया है।

और कोई रास्ता नहीं -
कमलनाथ से लगभग एक घंटे की मुलाकात के बाद सुष्ामा ने कहा,"ऎसी स्थिति में एफडीआई के सरकार के एकतरफा निर्णय के बारे में सदन की भावना जानने का एकमात्र रास्ता यही बचता था कि इस मुद्दे पर चर्चा के बाद सदन में मत विभाजन भी कराया जाए। जब तक मतदान नहीं होगा हम अपना नजरिया कैसे जता पाएंगे? हमने सरकार से यह भी पूछा कि जब उसे अपने संख्या बल पर पूरा भरोसा था तो वह मतदान पर पहले ही क्यों राजी नहीं हो गई? यदि सरकार के पास संख्या बल का अभाव है तो भी उसे इस मुद्दे पर मतदान कराना चाहिए।"

सरकार नहीं गिरेगी -
सुष्ामा के मुताबिक,"हमने सरकार को बता दिया है कि यदि उसके खिलाफ वोट पड़ेंगे तो वह नहीं गिरेगी। केवल एफडीआई को लागू करने वाला प्रस्ताव वापस लेना होगा। यदि अधिकतर सांसद एफडीआई के खिलाफ हैं,तो इसे वापस लिया जाना चाहिए।"

वहीं भाजपा नेता एम वेंकैया नायडू ने कहा कि कांग्रेस यह स्पष्ट करे कि उसने इस विष्ाय पर संसद के चार बहुमूल्य दिन क्यों बर्बाद किए। इस पार्टी की उदासीनता,अक्षमता,असंबद्घता और अनिर्णय की स्थिति देश के लिए महंगी साबित हो रही है।"

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