सन्तो का स्वागत एवं विदाई त्याग तप से मनाएंमुनि हर्ष 

बाड़मेर,
आचार्य श्री महाश्रमण के विद्वान शिश्य शासन श्री मुनि हशर्लाल एवं मधुर संगायक मुनिश्री राजकुमार के सानिध्य में तेरापंथ भवन भिक्षु कुंज में मंगल भावना समारोह में मुनिश्री हशर्लाल ने कहा इस पांच महिनों के चार्तुमास मे आप लोगों ने जो कुछ पाया है, सीखा है, उसे सुरक्षित रखना है। विदाई के साथ साथ ज्ञान, ध्यान, जप, तप इन सबको विदाई नहीं करना है। इस सबको भूलाना नहीं है। उन्हें स्मरण रखते हुए अपने जीवन को उन पर ले चलना है। उन्होंने एकएक श्रावक का नाम ले करके याद किया। अमावी बाई के तपस्या के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा मैत्री, बन्धुता, समन्वय और समता का अनुवर्तन करते हुए अपने जीवन को विकासोन्मुख बनाएं। मधुर संगायक मुनि राजकुमार ने कहा संतो की क्या विदाई और क्या स्वागत संतों का सच्चा स्वागत एवं सच्ची विदाई त्याग एवं तप से होती है। संतो का विश्व में कोई निर्धारित स्थान नहीं होता। स्थानस्थान पर घूमते हुण आत्म साधना के साथसाथ लोक जागृति के पथ पर आगे ब़ते रहना ही काम है। उन्होने कहा जो भी अध्यात्म तत्व आपने सुने और आपने जो कुछ सीखा वह केवल कथनी में न रहे, करनी में आए। वह केवल प्रचारात्मक न होकर आचारात्मक बने, जीवन व्यवहार को छुए। इस चार्तुमास को सफल बनाने में सभी संस्थाओं के पदाधिकारियों का योगदान रहा। सभी श्रावक समाज से क्षमायाचना की। 
इस मंगल भावना समारोह में अणुव्रत समिति के मंत्री पारसमल जी गोलेच्छा, महिलामण्डल मेवाराम वडेरा, महिलामण्डल की अध्यक्षा लीला जैन, गोतम बोहरा, मनीष मेहता तेयुप के मंत्री, रमेशकुमार बोहरा, अणुव्रत समिति के अध्यक्ष मुकेश जैन, केवलजी मेहता, भरत छाजेड़, जितेन्द्र बांठिया, पुखराज जी बोकडिया, तेरापंथ सभा के उपाध्यक्ष जवरीलाल बोहरा, ओमजी बोहरा, केलाश बोहरा, मीठालाल जी चौपड़ा वकील साहब, ने अपने विचार व्यक्त किये। इस कार्यक्रम में समाज के गणमान्य व्यक्ति गुलाबचंद चोपड़ा, अमृत जी वडेरा, दोलतरामजी छाजेड़, राजेन्द्र गोलेच्छा, देवीचंद जी गोलेच्छा, तेरापंथ सभा के अध्यक्ष सोहनलालजी गोलेच्छा सोहनलाल आदि गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन तेयु पके अध्यक्ष रूपेश मालू ने सूचारू रूप से किया।

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