अब्बू की मौत नहीं मरना चाहते शाहरूख
पणजी।
शाहरूख उस पल को याद कर व्यथित हो जाते हैं जब उनके पिता की मौत हो गई थी और उनके शव को घर पर लाया गया था। मेरी बहन बेहोश होकर गिर गई थी। वह दो साल तक सदमे में रही। वह रो नहीं सकती थी लेकिन पिता के मौत की सच्चाई का वह सामना नहीं कर पाती थी।
शाहरूख ने बताया कि टॉप पर पहुंचने के बाद आदमी अकेला हो जाता है। वह लगातार खालीपन की भावनाओं से लड़ रहे हैं। मेरे साथ कुछ न कुछ गलत है। मैं उसे महसूस कर सकता हूं लेकिन मैं नहीं जानता कि वह क्या है? मेरे पास खूबसूरत परिवार है। कुछ अच्छे दोस्त हैं जिनके साथ मैं अच्छा खासा वक्त गुजारता हूं। मैं अनजान नहीं बने रहना चाहता।
मैं सिर्फ सफल होना चाहता हूं। विश्वास कीजिए टॉप पर पहुंचने के बाद अकेलेपन का अहसास होता है। 47 साल के शाहरूख अपनी आत्मकथा को अंतिम रूप देने में लगे हैं। शाहरूख ने कहा कि कुछ खालीपन है। मैं इससे असहज हो जाता हूं। मैं खुद के साथ अजनीबन महसूस करता हूं। इन सभी चीजों को मैं अपनी एक्टिंग से भरता हूं।
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