अब्बू की मौत नहीं मरना चाहते शाहरूख 
पणजी।
बॉलीवुड में किंग खान से मशहूर शाहरूख खान का कहना है कि वह अपने पिता की तरह नहीं मरना चाहते। शाहरूख जब 15 साल के थे तब उनके पिता की मौत हो गई थी। शाहरूख के परिवार की आर्थिक हालत बहुत खराब थी। शाहरूख बताते हैं कि एक बार उनके पिता फिल्म दिखाने उन्हें सिनेमा हॉल ले गए लेकिन उनके पास पर्याप्त पैसे नहीं थे। इसलिए फिल्म नहीं देख पाए। दोनों कामती ऑडिटोरियम के पास बैठ गए। शाहरूख से उनके पिता ने कहा कि पास से गुजरते वाहनों को देखना बहुत अच्छा लगता है। शाहरूख ने ये बातें गोवा में थिंक फेस्ट कॉनक्लेव के मौके पर कही। किंग खान का कहना है कि जब मैं अपने बच्चे को फिल्म दिखाने ले जाऊं तो मैं चाहूंगा कि वह फिल्म देखे न कि पास से गुजरती कारें। शाहरूख को उनको हमेशा असफलता का डर सताता रहता है। शाहरूख के मुताबिक उनके पिता दुनिया के सफलतम फेलियर इंसान थे। मुझे उन पर गर्व है। उनके पिता एक खूबसूरत पठान थे। 
शाहरूख उस पल को याद कर व्यथित हो जाते हैं जब उनके पिता की मौत हो गई थी और उनके शव को घर पर लाया गया था। मेरी बहन बेहोश होकर गिर गई थी। वह दो साल तक सदमे में रही। वह रो नहीं सकती थी लेकिन पिता के मौत की सच्चाई का वह सामना नहीं कर पाती थी। 
शाहरूख ने बताया कि टॉप पर पहुंचने के बाद आदमी अकेला हो जाता है। वह लगातार खालीपन की भावनाओं से लड़ रहे हैं। मेरे साथ कुछ न कुछ गलत है। मैं उसे महसूस कर सकता हूं लेकिन मैं नहीं जानता कि वह क्या है? मेरे पास खूबसूरत परिवार है। कुछ अच्छे दोस्त हैं जिनके साथ मैं अच्छा खासा वक्त गुजारता हूं। मैं अनजान नहीं बने रहना चाहता। 
मैं सिर्फ सफल होना चाहता हूं। विश्वास कीजिए टॉप पर पहुंचने के बाद अकेलेपन का अहसास होता है। 47 साल के शाहरूख अपनी आत्मकथा को अंतिम रूप देने में लगे हैं। शाहरूख ने कहा कि कुछ खालीपन है। मैं इससे असहज हो जाता हूं। मैं खुद के साथ अजनीबन महसूस करता हूं। इन सभी चीजों को मैं अपनी एक्टिंग से भरता हूं।

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