बाड़मेर के टांका प्रकरण में 24 साल बाद पहली चार्जशीट
जोधपुर. 
पानी की कमी से जूझ रहे बाड़मेर जिले के लोगों की प्यास बुझाने के लिए 24 साल पहले 10 हजार 858 टांके बनाने के आदेश हुए थे। इनमें से करीब 2 हजार 994 टांकों का निर्माण किए बिना ही करीब डेढ़ करोड़ का रुपए का भुगतान उठा लिया गया।सोलह साल पहले तत्कालीन कलेक्टर ने इस घोटाले का पर्दाफाश कर एसीबी में 38 मुकदमे दर्ज कराए थे जिनमें से एक मुकदमे का सोमवार को पहला चालान कोर्ट में पेश हुआ है। इस मुकदमे की अभियोजन स्वीकृति भी सात साल पहले मिल चुकी थी, मगर राजनीतिक दबाव के कारण चालान पेश करने पर रोक लगती रही।आरोपी भी इन मुकदमों के बंद होने का इंतजार कर रहे थे। अब चालान पेश करने का सिलसिला शुरू हुआ है जो शेष 37 मुकदमों तक जारी रहेगा।

बड़ा घोटाला, लंबा इंतजार और अब जगी उम्मीद
11 टांकों के फर्जीवाड़े का चालान
एसीबी के डीएसपी विजयसिंह ने सोमवार को तत्कालीन बीडीओ मोहनलाल, जेईएन सीताराम व लक्ष्मणसिंह, पटवारी उदाराम और उप सरपंच हरिसिंह के खिलाफ चालान पेश किया है।
इस मुकदमे में फर्जी मस्टररोल व मजदूरों के नाम से 11 टांकों का फर्जी भुगतान पाया गया था। एसीबी को यह चालान पेश करने के मंजूरी 2005 में मिली थी, मगर राजनीतिक दबाव में एसीबी मुख्यालय कोर्ट में चालान पेश करने पर बार-बार रोक लगाता रहा।
घोटाले के 38 मुकदमे, 203 आरोपी
हजारों टांकों के निर्माण में हुए घोटाले के 38 मुकदमो में कुल 203 आरोपी हैं। आरोपियों में तत्कालीन नायब तहसीलदार, पटवारी, ग्रामसेवक, जेईएन, सरपंच, उप सरपंच, वार्ड पंच के साथ ही प्राइवेट व्यक्ति भी शामिल हैं।
कई आरोपी दुनिया छोड़ गए, कई रिटायर हो गए
चौबीस साल पहले के इस मामले में मुकदमा दर्ज हुए भी 16 साल हो गए। इतने लंबे समय तक चालान नहीं होने के कारण सरकारी कर्मचारी, जनप्रतिनिधि और प्राइवेट व्यक्तियों में से आठ जने अब दुनिया में नहीं है, वहीं सात ऐसे आरोपी भी हैं जो सेवानिवृत्त हो चुके हैं। उस वक्त जो जनप्रतिनिधि रहे थे, वे भी अब सक्रिय राजनीति से दूर हो चुके हैं।

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