महामहिम नहीं, अब 'श्री' कहिए : प्रणब 

दरभंगा 
प्रणब मुखर्जी जब राष्ट्रपति बने थे तो कहा जा रहा था कि अब उन्हें प्रोटोकॉल की वजह से दादा नहीं कहा जा सकेगा। लेकिन अब खुद प्रणब ने साफ कर दिया है कि उन्हें अंग्रेजों को बनाए प्रोटोकॉल पसंद नहीं हैं। वे आम लोगों की तरह रहना चाहते हैं। यहां तक कि उन्हें 'महामहिम' और 'माननीय' जैसे शब्दों पर भी आपत्ति है। इसके बजाय वे कहते हैं कि अगर जरूरी ही तो 'श्री' कहिए। 

दरअसल, 3 अक्टूबर को ललित नारायण मिथिला यूनिवर्सिटी का दीक्षांत समारोह है। इसमें राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का संबोधन होना है। आमंत्रण पत्र में 'महामहिम प्रणब मुखर्जी' लिखा था जिस पर प्रणब को आपत्ति थी। उन्होंने अपनी आपत्ति का इजहार किया। प्रणब ने कहा कि मैं चाहता हूं कि लोग औपनिवेशिक शब्दों के बजाय लोकतांत्रिक शब्दों का उपयोग करें। राष्ट्रपति सचिवालय की तरफ से 'महामहिम' शब्द की जगह 'श्री' शब्द को अपनाया गया है। प्रणब समारोह के चीफ गेस्ट हैं। बिहार के राज्यपाल देवानंद कुंवर के नाम से पहले से भी 'महामहिम' और 'माननीय' शब्द आमंत्रण पत्र से हटा दिए गए हैं। यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार वीपी सिंह ने कहा कि 2005 के दीक्षांत समारोह में तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल कलाम आए थे। उस वक्त भी आमंत्रण पत्र पर 'महामहिम' शब्द प्रिंट हुआ था। 

रमेश ने भी गाउन फेंक दिया था 

दो साल पहले भोपाल में एक दीक्षांत समारोह में पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने गाउन उतारकर फेंक दिया था। उन्होंने कहा था कि 60 साल बाद भी हम गुलामी की निशानियों से चिपके हुए हैं। कुछ समय बाद बिलासपुर में दीक्षांत समारोह में शामिल छात्र कुर्ता-पायजामा पहनकर आए। 

अंग्रेजों के बनाए प्रोटोकॉल पर आपत्ति के बाद राष्ट्रपति सचिवालय ने महामहिम शब्द हटाया 

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