आजादी के 2 साल बाद लगी बापू की तस्वीरें
मुंबई।
आजादी मिलने के करीब दो साल बाद तक ब्रिटेन के महारानी और महाराजा के चित्र सरकारी कार्यालयों की शोभा बढ़ाते रहे। दो साल बाद इन चित्रों के स्थान पर बापू के चित्र लगाने का आदेश जारी किया गया था।
महात्मा के चित्र लगाने का जारी हुआ आदेश -
तत्कालीन बाम्बे राज्य की सरकार ने 2 जून,1949 को सभी कार्यालयों को ब्रिटिश साम्राज्यवादी शासकों के चित्रों के स्थान पर महात्मा गांधी के चित्र लगाने का निर्देश दिया।
महात्मा के मितव्ययिता के सिद्धांत को ध्यान में रखा गया -
राजभवन द्वारा सोमवार को जारी अभिलेखीय सामग्री के अनुसार महात्मा मितव्ययिता के सिद्धांत की पालना करते थे,इसे ध्यान में रखते हुए ब्रिटेन के पुराने चित्रों के फ्रेम निकालकर गांधी के चित्रों में लगाए गए।
पुराने फ्रेम लगाए जाएं -
बॉबे सरकार द्वारा जारी राजनीतक प्रस्ताव (जीआर) के अनुसार,राजा-रानियों के चित्रों को कहीं दूर ले जाकर उनमें लगे शीशे व फ्रेम हटाए जाएं। जो शीशे व फ्रेम सही सलामत हों उन्हें महात्मा गांधी के चित्र पर लगाया जाए।
पास में कोई ज्वलनशील चीज न हो -
जीआर में कहा गया कि राजा व महारानी के चित्रों को लगाने में जो सामग्री काम में ली गई है उसे सुरक्षित स्थान पर रखा जाए जहां आस-पास कोई ज्वलनशील वस्तु नहीं हो। इतना ही नहीं जीआर में यह भी निर्देश दिया गया कि किसी विभाग को महात्मा को कौन सा चित्र लगाना है।
बिना फ्रेम की फोटो 30 रूपए की-
इसके बाद 14 अक्टूबर,1949 को जारी आदेश में तीन तरह के चित्रों की कीमतों के बारे में भी बताया गया था। बिना फ्रेम वाली फोटो की कीमत 30 रूपए,दूसरी की 18 रूपए और तीसरी की आठ रूपए तय की गई थी। आज कोई भी सरकारी कार्यालय महात्मा गांधी के चित्र के बगैर पूरा नहीं है।
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