अब बिजली का बिल देगा झटका
नई दिल्ली।
डीजल की बढ़ी कीमतों के बोझ पर बवाल अभी शांत भी नहीं हुआ कि अब बिजली का बिल आपकी जेब काटने जा रहा है। सरकार ने घाटे में चल रही राज्यों की विद्युत वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को आर्थिक संजीवनी देने के लिए नया फॉर्मूला तय किया गया है।
इसके तहत सरकार इन कंपनियों को बेलआउट पैकेज देगी, लेकिन शर्त है कि इन्हें अपने सालाना घाटे को 25 फीसदी कम करना होगा। इसके लिए कंपनियां चाहें तो हर साल बिजली की रेट बढ़ा सकती हैं। केंद्र की इस पहल का मकसद दिवालिया होने के कगार पर पहुंच चुकी बिजली वितरण कंपनियों को दोबारा से पटरी पर लाना है।
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री एम वीरप्पा मोइली ने मंगलवार को कहा, केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय, योजना की स्वीकृति से 12 महीने की अवधि के अंदर अंतर मंत्रालयी परामर्श के बाद राज्य विद्युत वितरण जिम्मेदारी विधेयक का मसौदा पेश करेगा। मंत्रालय द्वारा आदर्श विधेयक वितरित किए जाने की तारीख से 12 महीनों के भीतर राज्यों को इस कानून को लागू करना होगा ताकि वित्तीय पुनर्गठन पैकेज के प्रावधानों का अनुपालन हो सके।
1.9 लाख करोड़ का पैकेज
बिजली क्षेत्र में सुधारों को आगे बढ़ाते केंद्र ने सोमवार को राज्य बिजली बोर्डो के 1.9 लाख करोड़ रूपए के ऋण पुनर्गठन को मंजूरी दे दी। इस पहल का मकसद दिवालिया होने के कगार पर पहुंची बिजली वितरण कंपनियों को पटरी पर लाना है। मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति की ओर से मंजूरी के तहत अल्पकालिक देनदारी का 50 प्रतिशत का वहन राज्य सरकारें करेंगी। पुनर्भुगतान की शर्तो के तहत शेष 50 प्रतिशत कर्ज का पुनर्गठन किया जाएगा। शर्त के तहत 31 मार्च 2012 तक 50 प्रतिशत देनदारी राज्य सरकारों को लेनी है। पहले वितरण कंपनियों के बांड भाग लेने वाले बैंकों को जारी किए जाएंगे, जिस पर राज्य की पूरी गारंटी होगी।
फ्रेंचाइजी की शर्त का विरोध शुरू
लखनऊ. बिजली अभियंताओं के संगठन ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने बिजली कंपनियों को सहायता पैकेज का स्वागत किया है। साथ ही चेतावनी दी कि पैकेज के लिए शहरों में बिजली वितरण के लिए 'फ्रेंचाइजी' की शर्त थोपी गई तो इसका राष्ट्रव्यापी विरोध किया जाएगा। फेडरेशन अध्यक्ष शैलेन्द्र दुबे ने कहा, सरकार की गलत नीतियों से पिछले 10 साल में वितरण कम्पनियों को एक लाख 90 हजार करोड़ रूपए का घाटा हुआ। इससे निपटने के लिए केन्द्र ने पैकेज देकर सही कदम उठाया है, लेकिन फ्रेंचाइजी देने की शर्त निजी पक्षों को लाभ पहुंचाने के लिए रखी गई है, पुरजोर विरोध किया जाएगा। उधर, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी विद्युत नियामक आयोग से रायबरेली, अमेठी व इटावा समेत छह जिलों को 24 घंटे बिजली देने संबंधी रिपोर्ट तलब की।
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