रेगिस्तान में उगने लगे अनार, खजूर और बेर

डॉ. दीपक आचार्य
जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी
बाड़मेर
रेगिस्तानी इलाका होने की वजह से प्रसिद्ध बाडमेर जिले में सरकार के अनथक प्रयासों की बदौलत अब खेती-बाड़ी का सुकूनदायी मंजर दिखाई देने लगा है तथा कृषि और इससे संबंद्ध गतिविधियों और खेती-बाड़ी की अत्याधुनिक विधाओं और नवाचारों की अपनाने में मरुस्थल के किसान पूरी रुचि के साथ आगे आ रहे हैं।

बाड़मेर जिले में कृषि आधारित योजनाओं व कार्यक्रमों का बेहतर क्रियान्वयन हो रहा है और इसी का परिणाम है कि बाड़मेर जैसे रेगिस्तानी क्षेत्रों में अब नए जमाने के अनुरूप खेती होने लगी है।

बूंद-बूंद सिंचाई से भरने लगी समृद्धि की गागर

सूक्ष्म सिंचाई मिशन अन्तर्गत बाड़मेर जिले में जल संरक्षण के लिए कृषकों द्वारा बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति अपनाने पर जोर दिया जा रहा है। किसानों को अपने खेत पर बूंद-बूंद सिंचाई सयंत्र स्थापित करने पर कुल लागत का 90 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है।

वित्तीय वर्ष 2011-12 में लगभग 502 हैक्टेयर क्षेत्र में बूंद-बूंद सिंचाई सयंत्र स्थापित कर सरकार द्वारा लगभग 487 लाख रुपये का अनुदान दिया जाकर लगभग 250 कृषकों को लाभान्वित किया गया है। जिले में बूंद-बूंद सिंचाई मुख्यतः सब्जियां, अरण्डी, बेर, खजूर, नीम्बू, अनार, आंवला इत्यादि उद्यानिकी फसलों में की जा रही है।

सामुदायिक जल हौज बदल रहे हैं भूमिपुत्रों की तकदीर

राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अन्तर्गत जिले के कृषकों को वर्षा का जल संरक्षण कर खेती में उपयोग लेने हेतु सामुदायिक जल स्रोत का निर्माण करवाया जा रहा है। यह योजना जिले की भौगोलिक विषम परिस्थितियों को देखते हुए कृषकों के जीवनयापन का नया स्रोत बन कर उभर रही है।

इस योजनान्तर्गत कृषक जल संरक्षण के साथ-साथ उद्यानिकी फसलों की भी खेती कर रहे हैं, जिससे उद्यानिकी की फसलें जैसे - बेर, नीबू, आंवला, अनार के बुवाई क्षेत्रफल में कई गुना विस्तार हुआ है।

बढ़ा रुझान खजूर की खेती में

भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित राष्ट्रीय कृषि विकास योजनान्तर्गत जिले की विषम परिस्थितियों तथा खजूर की खेती के लिए आवश्यक भौगोलिक परिस्थिति उपयुक्त पाये जाने पर बाड़मेर जिले में कृषकाें में खजूर की खेती के प्रति खासा रुझान बढ़ा है। बाड़मेर जिले की आबोहवा और तमाम प्रकार की अनुकूलताओं को देखते हुए यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि खाड़ी देशों की भांति यहां पर भी अथाह खजूर उत्पादन संभव है।

इन्हीं संभावनाओं को आकार देने के लिए बाड़मेर जिले मे बहुआयामी प्रयास किए जा रहे हैं। जिले में विगत 5 वर्षो में कृषि एवं उद्यान विभाग के प्रयासों से खजूर के क्षेत्रफल में लगातार वृद्धि होकर लगभग70 हैक्टेयर क्षेत्रफल में खजूर के बगीचे स्थापित किये जा चुके हैं।

मिठास दे रहा बेर

राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना के अन्तर्गत बाड़मेर जिले में विगत वर्षो में लगभग 500 हैक्टेयर में बेर के बगीचे विभिन्न कृषकों द्वारा स्थापित किये गये हैं। यहां बेर की सेव, गोला किस्में प्रसिद्ध हैं। अब ये कम पानी में अधिक उपज एवं आमदनी देने वाली यह मुख्य उद्यानिकी फसल का दर्जा पा चुकी है।

छायी अनार की लाली

जिले की जलवायु अनार उत्पादन के अनुकूल होने से अनार की फसल का विस्तार जिले मे तेजी से बढ़ रहा है। अनार की फसल दूसरी उद्यानिकी फसलों की तुलना में अधिक आय देती है। इस वजह से बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति से अनार की खेती करने वाले किसानों के लिए जल संरक्षण के साथ-साथ अधिक आय देने वाली यह फसल वरदान साबित हो रही है।

नवाचार अपनाने लगे हैं किसान

बाड़मेर में विभिन्न फलों की खेती और सरकारी योजनाओं के लाभों ने आम किसानों में भी नए जमाने के अनुसार खेती करने और नगदी फसलों के जरिये आर्थिक विकास लाने की भावनाएं मूत्र्त रूप लेती जा रही हैं। इसी के फलस्वरूप अब खेती-बाड़ी के नवाचारों की ओर किसानों का रुझान उत्तरोत्तर बढ़ता जा रहा है।

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