"खनन हुआ ही नहीं,फिर घाटा कैसा" 
नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कोयला ब्लॉक आवंटन पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की उस रिपोर्ट को खारिज कर दिया, जिसमें इस आवंटन से सरकारी खजाने को 1.85 लाख करोड़ रूपए के अनुमानित नुकसान की बात कही गई है।
केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम ने केंद्रीय कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, "यदि कोयला का खनन नहीं किया गया है, तो लाभ या नुकसान का सवाल ही नहीं है। अनुमानित नुकसान का यह आकलन दोषपूर्ण है।"
चिदम्बरम ने कहा, सीएजी ने जिन 57 आवंटित कोयला ब्लॉक को अपने निरीक्षण में शामिल किया है, उनमें खनन नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि जब कोयला खदानों में खनन ही नहीं हुआ तो नुकसान कैसे हुआ?

जायसवाल ने कहा कि सरकार सीएजी के मूल्यांकन से सहमत नहीं है। हम सीएजी की रिपोर्ट से सहमत नहीं हैं।

केंद्रीय कोयला मंत्री ने कहा कि उन्होंने सीएजी से अंतिम रिपोर्ट तैयार करने से पहले कोयला मंत्रालय के अधिकारियों से मशविरा करने के लिए कहा था, लेकिन सीएजी ने ऎसा नहीं किया।

उन्होंने कहा कि सीएजी ने महान्यायवादी तथा कोयला खनन पर मंत्रियों के अधिकार प्राप्त मंत्री समूह का विचार भी नहीं जाना।

चिदम्बरम ने कहा कि केंद्र की यूपीए सरकार ने पारदर्शिता के लिए नीति में परिवर्तन किया और इसके लिए अब सरकार को दोषी ठहराया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि यदि आप कुछ नहीं करते हैं तब भी आरोप लगाए जाते हैं, यदि आप कुछ बदलने की कोशिश करते हैं तब भी आरोप लगाए जाते हैं। सार्वजनिक मामलों को निपटाने का क्या यही तरीका है?

कोयला ब्लॉक आवंटन को लेकर आगामी कदम के बारे में पूछे जाने पर चिदम्बरम ने कहा कि सरकार सीएजी, महान्यायवादी तथा मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह की रिपोर्ट पर निर्णय लेगी।

चिदम्बरम ने विपक्षी दलों, खासकर भाजपा से अपील की कि वह संसद की कार्यवाही चलने दे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इस मुद्दे पर संसद में बयान देने और चर्चा कराने के लिए तैयार हैं। चिदम्बरम में संसद नहीं चलने देने के भाजपा के रूख पर निराशा जताई।

उल्लेखनीय है कि एनडीए कोयला आवंटन पर आई सीएजी की रिपोर्ट पर पिछले चार दिन से संसद नहीं चलने दे रहा है। वह पीएम से इस्तीफा मांग रहा है।

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