शनि आज बदलेंगे स्थान: जानिए किस राशि पर क्या होगा असर
जयपुर
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मार्गी शनि 4 अगस्त को कन्या राशि को छोड़कर उच्च राशि तुला में प्रवेश करेगा। शनि राशि परिवर्तन से जहां सिंह राशि वालों को साढ़े साती से निजात मिलेगी, वहीं वृश्चिक राशि वालों पर साढ़े साती प्रभावी हो जाएगी। ज्योतिषविदों की मानें तो उच्च राशि का शनि सभी जातकों को श्रेष्ठ फल देने वाला ही रहेगा।
वृश्चिक, कन्या व तुला पर शुरू होगा असर
'शनि सुबह 8:55 पर तुला में प्रवेश करेगा। शनि के राशि परिवर्तन से कन्या, तुला व वृश्चिक को साढ़े साती लगेगी। मिथुन व कुंभ का ढैया शनि समाप्त हो जाएगा और कर्क व मीन राशि वालों को ढैया शनि प्रभावी हो जाएगा, जिनकी जन्मकुंडली श्रेष्ठ स्थान पर व दशा श्रेष्ठ है तो वहां शनि का प्रभाव कम हो जाता है। अशुभ स्थानों में शनि होने पर शनि मंत्र के जाप, शनिवार का व्रत, सप्त धान्य का दान करना व शिवपूजन के साथ पीपल वृक्ष का भी पूजन करने से शनि का अशुभ फल कम होता है।'
-पं.दामोदर प्रसाद शर्मा, पं.बंशीधर जयपुर पंचांग निर्माता
यूं करेगा शनि विचरण
मेष, कन्या व कुंभ राशि वालों को सोने के पाए में शनि विचरण करेगा। वृष, सिंह व धनु राशि वालों को ताम्र पाए में विचरण किया है। मिथुन, तुला व मकर चांदी के पाए से और कर्क, वृश्चिक व मीन राशि वालों को लोहे के पाए से आगामी समय तक विचरण करेगा।
ये रहेगा प्रभाव :
साढ़े साती व ढैया रोग, पीड़ा व चिंताकारक, धनहानि, रोजगार में कमी वाला रहता है। वहीं सोने व लोहे के पाए से विचरण वाला शनि भी मनोबल को कमजोर व मन को अशांति कारक रहेगा। ताम्र व चांदी के पाए वाला शनि सत्पुरुषों के मार्ग दर्शन से श्रेष्ठ फलदायी व भाग्य वृद्धिकारी रहेगा।
मंगल-शनि का योग
वर्तमान में चल रहा मंगल शनि का योग शनि के राशि परिवर्तन के साथ ही समाप्त हो जाएगा। इससे शुभ फलों में श्रेष्ठता आएगी। अशुभ फलों का प्रभाव कम होगा व महंगाई पर रोक लगेगी। मगर 14 अगस्त को मंगल के भी तुला राशि में प्रवेश से दोनों का योग फिर से शुरू हो जाएगा।
यूं चला घटनाक्रम
शनि 15 नवंबर, 2011 में तुला में आया, फिर 7 फरवरी, 2012 को शनि तुला में वक्री हुआ, 16 मई को वक्री शनि ने कन्या राशि में प्रवेश किया और 25 जून को कन्या में मार्गी हुआ।
आगे यूं रहेगा
शनि अब तुला राशि में ढाई साल तक रहेगा। इसके बाद समय-समय पर वक्री और मार्गी होने के बाद शनि का राशि परिवर्तन 2 नवंबर, 2014 में होगा, जो तुला राशि को छोड़ वृश्चिक में प्रवेश करेगा।
वृश्चिक, कन्या व तुला पर शुरू होगा असर
'शनि सुबह 8:55 पर तुला में प्रवेश करेगा। शनि के राशि परिवर्तन से कन्या, तुला व वृश्चिक को साढ़े साती लगेगी। मिथुन व कुंभ का ढैया शनि समाप्त हो जाएगा और कर्क व मीन राशि वालों को ढैया शनि प्रभावी हो जाएगा, जिनकी जन्मकुंडली श्रेष्ठ स्थान पर व दशा श्रेष्ठ है तो वहां शनि का प्रभाव कम हो जाता है। अशुभ स्थानों में शनि होने पर शनि मंत्र के जाप, शनिवार का व्रत, सप्त धान्य का दान करना व शिवपूजन के साथ पीपल वृक्ष का भी पूजन करने से शनि का अशुभ फल कम होता है।'
-पं.दामोदर प्रसाद शर्मा, पं.बंशीधर जयपुर पंचांग निर्माता
यूं करेगा शनि विचरण
मेष, कन्या व कुंभ राशि वालों को सोने के पाए में शनि विचरण करेगा। वृष, सिंह व धनु राशि वालों को ताम्र पाए में विचरण किया है। मिथुन, तुला व मकर चांदी के पाए से और कर्क, वृश्चिक व मीन राशि वालों को लोहे के पाए से आगामी समय तक विचरण करेगा।
ये रहेगा प्रभाव :
साढ़े साती व ढैया रोग, पीड़ा व चिंताकारक, धनहानि, रोजगार में कमी वाला रहता है। वहीं सोने व लोहे के पाए से विचरण वाला शनि भी मनोबल को कमजोर व मन को अशांति कारक रहेगा। ताम्र व चांदी के पाए वाला शनि सत्पुरुषों के मार्ग दर्शन से श्रेष्ठ फलदायी व भाग्य वृद्धिकारी रहेगा।
मंगल-शनि का योग
वर्तमान में चल रहा मंगल शनि का योग शनि के राशि परिवर्तन के साथ ही समाप्त हो जाएगा। इससे शुभ फलों में श्रेष्ठता आएगी। अशुभ फलों का प्रभाव कम होगा व महंगाई पर रोक लगेगी। मगर 14 अगस्त को मंगल के भी तुला राशि में प्रवेश से दोनों का योग फिर से शुरू हो जाएगा।
यूं चला घटनाक्रम
शनि 15 नवंबर, 2011 में तुला में आया, फिर 7 फरवरी, 2012 को शनि तुला में वक्री हुआ, 16 मई को वक्री शनि ने कन्या राशि में प्रवेश किया और 25 जून को कन्या में मार्गी हुआ।
आगे यूं रहेगा
शनि अब तुला राशि में ढाई साल तक रहेगा। इसके बाद समय-समय पर वक्री और मार्गी होने के बाद शनि का राशि परिवर्तन 2 नवंबर, 2014 में होगा, जो तुला राशि को छोड़ वृश्चिक में प्रवेश करेगा।
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