प्रदेश सूखे के हालात
नई दिल्ली।
राजस्थान में सूखे की स्थिति पैदा हो सकती है। मौसम विभाग ने शुक्रवार को बताया कि पंजाब,हरियाणा,गुजरात और राजस्थान में सामान्य से पचास फीसदी कम बारिश हुई है। इससे इन राज्यों में सूखे की स्थिति पैदा हो सकती है। पूरे देश में सामान्य से 15 फीसदी कम बारिश हुई है। मौसम विभाग के महानिदेशक एल.एस. राठौड़ ने बताया कि देश के 36 मौसम उपमंडलों में से मुख्यत: उत्तर पश्चिम एवं दक्षिणी भागों के 22 उपमंडलों में कम या बहुत कम बारिश हुई है। सामान्यत: देश भर की वर्षा में 63 फीसदी बारिश इन्हीं क्षेत्रों में होती है।
अलनीनो की आशंका
राठौड़ ने आंशिक सूखे की बात स्वीकार करते हुए कहा कि कृषि के लिए सूखे की स्थिति की घोषणा से पहले फसलों की स्थिति को भी ध्यान में रखना होता है। मानसून जून सितम्बर के पहले दो महीनों में देश में औसत से 19 प्रतिशत कम वर्षा हुई है और बाकी दो महीनों में दस प्रतिशत कम वर्षा होने का अनुमान है। इस प्रकार पूरे मानसून मौसम में वर्षा औसत से करीब 15 प्रतिशत कम होने का अनुमान है। मानसून मौसम के दौरान ही अलनीनों की स्थिति पैदा होने की संभावना है जिससे वर्षा में कमी आ जाएगी।कम वर्षा से प्रभावित उत्तर पश्चिम क्षेत्र में पंजाब,हरियाणा,राजस्थान तथा गुजरात के कुछ हिस्से तथा दक्षिण क्षेत्र में कर्नाटक और समुद्र तटीय क्षेत्र शामिल हैं। राठौड़ ने कहा कि वर्षा कम होने के बावजूद पंजाब और हरियाणा में सिंचाई सुविधा होने तथा पूर्व,मध्य एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र में वर्षा की स्थिति संतोषजनक होने से कृषि उपज पर ज्यादा प्रतिकूल असर नहीं होने की संभावना है। खासकर धान की खेती वाले क्षेत्रों में अच्छी वर्षा हुई है। मौसम विभाग ने आने वाले सप्ताह में पूरे उत्तर प्रदेश में अच्छी वर्षा होने का अनुमान व्यक्त किया है।
मौसम विभाग का अनुमान है कि अगस्त में तो वर्षा सामान्य ही होगी लेकिन सितम्बर में मध्य में प्रशांत महासागर में तापमान बढ़ने से अलनीनों की स्थिति पैदा होने की संभावना है,जिसका सीधा दुष्परिणाम यह होगा कि एशिया प्रशांत क्षेत्र खासकर भारत में वर्षा थम जाएगी। कम वर्षा की संभावनाओं वाले क्षेत्रों में मध्य महाराष्ट्र और मराठावाड़ा भी शामिल है।
ज्ञातव्य है कि इससे पहले 2002 में औसत से 19 प्रतिशत और 1918 में 28 प्रतिशत कम मानसूनी वर्षा होने से सूखे की स्थिति पैदा हो गई थी। 2012 में भी मानसूनी मौसम के पहले दो महीनों में औसत से बहुत कम वर्षा होने के कारण विशेषज्ञ इस बार भी सूखा पडने का पूर्वानुमान व्यक्त कर रहे हैं।
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