लक्ष्‍मण को जबरन कराया गया रिटायर!

लक्ष्‍मण को जबरन कराया गया रिटायर! बीवी की आंखों से निकले आंसू, गांगुली ने उठाए सवाल
नई दिल्‍ली. खबर आ रही है कि टीम इंडिया के स्टार टेस्ट बल्लेबाज वीवीएस लक्ष्मण को टेस्‍ट क्रिकेट से संन्‍यास लेने के लिए मजबूर किया गया था। सूत्रों के हवाले से मीडिया में आ रही खबर के मुताबिक न्‍यूजीलैंड के खिलाफ टेस्‍ट मैचों के लिए टीम के ऐलान से पहले ही चयनकर्ताओं ने लक्ष्‍मण से कह दिया था कि यह सीरीज उनकी आखिरी सीरीज होगी। लक्ष्‍मण से यह भी कहा गया था कि इस फैसले में बीसीसीआई भी चयनकर्ताओं के साथ है। तभी से लक्ष्‍मण आहत थे। 
यह वजह रही कि लक्ष्‍मण ने काफी सोच-विचार के बाद टेस्‍ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया और न्‍यूजीलैंड के खिलाफ खेलने के लिए टीम में चुने जाने के बावजूद नहीं खेलने का फैसला किया। हैदराबाद में शनिवार को प्रेस कांफ्रेंस में लक्ष्‍मण ने कहा, यही सही वक्‍त है जब मुझे खुद को क्रिकेट से अलग कर लेना चाहिए। मैं आज से ही इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्‍यास ले रहा हूं।' लक्ष्‍मण ने कहा कि वह न्‍यूजीलैंड सीरीज में भी नहीं खेलेंगे।
लक्ष्‍मण पर रिटायरमेंट के लिए दबाव की खबरों को इसलिए भी बल मिलता है क्‍योंकि टेस्ट टीम में चुने जाने के काफी दिन बाद लक्ष्‍मण ने अचानक संन्यास का अचानक फैसला ले लिया। जबकि उनके सामने घरेलू मैदान (हैदराबाद) में सम्मानपूर्वक विदाई लेने का भी विकल्‍प था। यही नहीं, उन्‍होंने बोर्ड व प्रमुख चयनकर्ताओं को भी प्रेस कॉन्फ्रेंस से ठीक पहले ही इसकी जानकारी दी। और, घोषणा के समय इनमें से कोई भी साथ मौजूद नहीं था। बोर्ड और चयनकर्ताओं के रवैये पर पूर्व कप्‍तान सौरव गांगुली ने भी सवाल उठाए हैं।
लक्ष्‍मण ने संन्‍यास का ऐलान करते हुए मीडिया से कहा कि वह युवाओं को मौका देना चाहते हैं, इसलिए उन्होंने संन्यास का ऐलान किया है। लक्ष्मण के संन्यास के ऐलान के साथ ही उनकी पत्नी रो पड़ीं। 
37 साल के लक्ष्‍मण ऐसी टिप्‍पणियों से भी 'आहत' थे कि उनके खेलने से युवा खिलाडि़यों के लिए राह नहीं खुल रहा है। उनका कहना है, 'मैंने कभी स्‍वार्थ के लिए नहीं खेला। मैं हमेशा टीम की सफलता में अपना योगदान देने का ध्‍येय रखता हूं। मुझे किसी निजी उपलब्धि से ज्‍यादा खुशी टीम की जीत से मिलती है।'

लक्ष्‍मण ने अब तक कुल 8781 टेस्ट रन बनाए हैं जिसमें 17 शतक शामिल हैं। किसी एक मैच में उन्‍होंने सबसे ज्‍यादा 281 रन बनाए हैं। उन्होंने यह स्‍कोर 2001 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ कोलकाता में हासिल किया था। वह 134 टेस्ट खेल कर 17 शतक और 56 अर्द्धशतक लगा चुके हैं। इनका टेस्ट औसत 45.97 है। लक्ष्मण ने 86 वनडे भी खेले हैं। इनमें छह शतकों के साथ उन्‍होंने कुल 2338 रन बनाए हैं। जबकि लक्ष्मण कभी भी वनडे टीम के नियमित सदस्य नहीं रहे। क्रिकेट में लक्ष्‍मण ने मोहम्मद अजहरुद्दीन को अपना आदर्श माना है। अजहरुद्दीन की बल्‍लेबाजी को देखते हुए कब उनके दिल में एक बल्‍लेबाज बनने का ख्‍वाब पैदा हो गया, उन्‍हें पता ही नहीं चला।

सचिन तेंदुलकर का मानना है कि टीम इंडिया में वीवीएस लक्ष्मण की जगह को भरना काफी मुश्किल होगा। सचिन ने कहा कि उन्हें हैदराबाद के इस कलात्मक बल्लेबाज की कमी खलेगी। तेंदुलकर ने ट्वीट किया, ''जब मैं हैदराबाद में खेलने उतरूंगा तो मुझे बड़े शून्य का अहसास होगा। ऐसा शून्य जिसे कभी नहीं भरा जा सकता। मेरे प्रिय मित्र, वीवीएस लक्ष्मण....।' पूर्व भारतीय कप्तान दिलीप वेंगसरकर ने कहा कि लक्ष्मण ऐसा क्रिकेटर है जो एक पीढ़ी में एक बार सामने आता है। उन्होंने कहा, 'लक्ष्मण का करियर असाधारण रहा। वह उन कुछ बल्लेबाजों में शामिल है जो लक्ष्य का पीछा करते हुए शानदार प्रदर्शन करते थे, ऐसी कला जिसमें बहुत कम लोगों को महारथ हासिल है।' लक्ष्मण के साथ एक दशक से भी अधिक समय तक ड्रेसिंग रूम बांटने वाले सौरव गांगुली ने ईडन गार्डन्स पर उनक 281 रन की पारी को याद किया। उन्होंने कहा, ''यह लक्ष्मण के कॅरियर का सबसे अहम दिन था। इस पारी का भारतीय क्रिकेट पर बड़ा प्रभाव है। इसने हमें काफी आत्मविश्वास दिया और हमें विश्वास कराया कि हम काफी पीछे नहीं हैं। इसक बाद हमने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा और भारतीय क्रिकेट ने लगातार सुधार जारी रखा।'' 


लक्ष्‍मण का जन्‍म हैदराबाद के नियोगी ब्रह्मण परिवार में हुआ। उनका पूरा नाम वेंगीपुरप्पु वेंकट साई लक्ष्मण है। उनके पिता सांताराम और मां सत्‍याभामा डॉक्‍टर हैं। 1 नवंबर, 1978 को जन्‍मे लक्ष्‍मण ने हैदराबाद के लिटिल फ्लावर हाईस्‍कूल में पढ़ाई की। इसके बाद वह डॉक्‍टरी पढ़ने लगे, लेकिन इसे बीच में ही छोड़ कर क्रिकेट में करियर बनाया। करीब आठ साल में करियर को काफी ऊंचाई पर ले जाने के बाद उन्‍होंने शादी की। शैलजा के साथ उनका विवाह 16 फरवरी 2004 को हुआ। आज लक्ष्‍मण दो बच्‍चों के पिता हैं। करोड़ों हिंदुस्‍तानियों के दिल में बसने वाले लक्ष्‍मण बेटे सर्वजीत और बेटी अचिंता को हमेश अपने दिल के करीब रखते हैं। लक्ष्‍मण को माता-पिता से बेहद लगाव है। वह आज भी कोई अहम फैसला पिता से मशविरा किए बिना नहीं करते। वह उन्‍हें अपना सबसे बड़ा प्रेरणास्रोत मानते हैं। मां के हाथ का खाना लक्ष्‍मण की कमजोरी है। वैसे तो उन्‍हें कॉन्टिनेंटल खाना बहुत पसंद है, लेकिन जब मां के हाथ का बना टिपिकल साउथ इंडियन खाना उनके सामने आता है तो वह दुनियाभर के तमाम जायके भूल जाते हैं।

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