"मिशन पीएम" में रोड़ा बना नरोदा कांड! 
अहमदाबाद। 
गोधरा दंगों के बाद 2002 में गुजरात के नरोदा कांड में भाजपा की पूर्व मंत्री और तीन बार विधायक रह चुकी मायाबेन कोडनानी के खिलाफ कोर्ट का फैसला भाजपा और मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ा झटका साबित हो सकता है। इससे पहले नरेन्द्र मोदी और गुजरात भाजपा ने बार-बार दावा किया था कि यह दंगे गोधरा ट्रेन कांड की प्रतिक्रिया स्वरूप हुए थे,इनमें तात्कालीन राज्य सरकार और सत्तारूढ़ पार्टी का कोई हाथ नहीं था। 
पीएम पद की उम्मीदवारी पर असर
लेकिन कोर्ट में अब तात्कालीन विधायक और भाजपा की पूर्व मंत्री कोडनानी पर आरोप साबित हो चुके हैं और उन्हें दंगे भड़काने का दोषी करार दिया जा चुका है। कोर्ट के इस फैसले ने गुजरात भाजपा और मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। राजनीतिक विशलेष्ाकों की माने तो आगामी लोकसभा चुनाव और प्रधानमंत्री की दौड़ में नरेन्द्र मोदी की संभावित उम्मीदवारी पर यह फैसला सबसे बड़ा रोड़ा बन सकता है। 
उल्लेखनीय है कि अहमदाबाद में 28 फरवरी 2002 को भड़के दंगों के आरोपियों पर कोर्ट के फैसले ने नरेन्द्र मोदी सरकार को झटका दिया है। फैसला सुनाते हुए अहमदाबाद की विशेष्ा निचली अदालत ने 32 लोगों को दोषी करार दिया है,इनमें मोदी सरकार में मंत्री रह चुकी माया कोडनानी का नाम भी शामिल है। साथ ही बीएसपी के पूर्व नेता बाबू बजरंगी को दोषी करार दिया है। कोर्ट ने इस मामले में 29 आरोपियों को बरी भी कर दिया है। 
ज्ञात हो कि जिस समय दंगे हुए माया कोडनानी सिर्फ विधायक थी, लेकिन बाद में मोदी सरकार में उन्हें मंत्री बनाया दिया गया था। आई विटनेस के बयान और अन्य सबूतों के आधार पर माया कोडनानी और बाबू बजरंगी पर लोगों को इकट्ठा करना का आरोप है। ज्ञात हो कि गोधरा कांड के बाद अहमदाबाद शहर के नरोडा पाटिया में भड़के दंगों में इससे पूर्व जून में विशेष न्यायाधीश डॉ. ज्योत्सना बेन याçज्ञक ने सुनवाई की थी और फैसले की तारीख 29 अगस्त निर्धारित की थी।

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