खारेपन से मुक्ति, मीठे पानी की सौगात
- डॉ. दीपक आचार्य

बाड़मेर, 
29 अगस्त/सदियों से प्यासी मरुधरा के लिए 30 अगस्त का दिन स्वर्णिम ऐतिहासिक है जब हिमालय का पानी थार के द्वार पहुंचकर सृजन का नया इतिहास रचेगा।मीलों तक पसरे रेत के समन्दर में बून्द-बून्द पानी का मोल इस रेगिस्तान के बाशिन्दांे के सिवा कौन जान सकता है जो सदियांे से कितनी कठिनाइयों से पानी पाने और संजोकर रखने की कला में माहिर रहे हैं।अतीत की बेरियों, बेरों, नाड़ियों और टाँको से लेकर आज के नवीन स्रोतांे और संसाधनों का सफर देखने वालों के लिए यह कल्पनाओं से परे था कि हिमालय का पानी उनके आँगन तक भी कभी पहुंच सकता है।

करिश्मा ही है यह परियोजना
सरकार की दृढ़ इच्छा शक्ति और भगीरथी प्रयासों का ही परिणाम है कि आज हिमालय का पानी मरुथल में पहुँच कर प्यास बुझा रहा है। सदियों और युगों की पेयजल समस्या का इस तरह समाधान ढूँढ़ लेना राज्य सरकार का वो करिश्मा ही है जिसे आने वाली पीढ़ियाँ युगों तक याद रखेंगी।

बदलने लगी तकदीर
राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् की अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी के हाथों लोकार्पित हो रही यह योजना मानव श्रम की कीर्ति पताका फहराने वाली वह महत्वाकांक्षी योजना है जो बाड़मेर जिले की तकदीर बदलने वाली सिद्ध होगी।हिमालय से निकला यह भगीरथी प्रवाह पर्वतों से निकली जीवनधारा से मरुथल को सरसब्ज कर देने वाला सिद्ध होगा वहीं सदियों की समस्या पर विजयश्री का परचम भी लहराएगा।

मुख्यमंत्री के हाथों हुआ शिलान्यास
राजस्थान में पेयजल प्रबंधन का स्वर्णिम इतिहास रचने वाली इस योजना का सूत्रपात 7 फरवरी 2003 को हुआ, जब प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में ही अशोक गहलोत ने जैसलमेर जिले के मोहनगढ़ तथा बाड़मेर शहर में इसका शिलान्यास किया।इसके लिए उस समय 424 ़91 करोड़ रुपए की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जारी हुई। इस परियोजना से सम्बन्धित कुल पानी की 172 एमएल़डी निर्धारित है जिसमें सैन्य क्षेत्र के लिए पानी की मांग 52 एम ़एल ़डी है।

मोहनगढ़ से बाड़मेर तक का लंबा सफर
इस परियोजना का आउट लेट स्थान जैसलमेर जिले में मोहनगढ़ के पास स्थित इन्दिरा गांधी नहर बुरजी संख्या 1434 ़75 है जहाँ से नहर का पानी लिफ्ट कर बाड़मेर के लिए पहुंचाया जा रहा है।इस परियोजना के अन्तर्गत मोहनगढ़ स्रोत पर 38 हजार 450 लाख लीटर क्षमता की डिग्गी है जबकि इससे सम्बन्धित फिल्टर प्लान्ट भी मोहनगढ़ स्रोत पर स्थित है जिसकी क्षमता 172 एम ़एल ़डी है। परियोजना अन्तर्गत मोहनगढ़ एवं भागू का गांव फाटा में एक-एक पंपिंग स्टेशन स्थापित है।

कुल 196 किमी लम्बी पाईप लाईन
मोहनगढ़ (जैसलमेर) से लेकर बाड़मेर तक कुल 196 किलोमीटर लम्बी पाईप लाईन बिछाई गई है तथा कुल पंपिंग हैड़ 200 मीटर है। इस परियोजना पर कुल 668 करोड़ रुपए की धनराशि व्यय हो चुकी है।
बाड़मेर लिफ्ट पेयजल परियोजना में ट्रंक मैन में लाभान्वित करने के लिए कुल 529 गांव स्वीकृत हैैैं। इनमें विधानसभावार स्वीकृत गांवों में शिव में 162, बायतु मंे 151, सिवाना में 2, पचपदरा में 3 तथा बाड़मेर विधानसभा क्षेत्र के सभी 211 गांव स्वीकृत हैं।
इसी प्रकार कलस्टर में स्वीकृत गांवों में इस परियोजना अन्तर्गत बायतु विधानसभा क्षेत्र के 145, सिवाना में एक, पचपदरा में तीन तथा बाड़मेर विधानसभा क्षेत्र में 90 गांव स्वीकृत हैं।

द्वितीय चरण भी ले रहा आकार
बाड़मेर लिफ्ट पेयजल परियोजना के द्वितीय चरण में विभिन्न क्षेत्रों को पेयजल से लाभान्वित किया जाएगा। इसके लिए कलस्टर पार्ट ए व बी निर्धारित है। कलस्टर पार्ट-ए के अन्तर्गत भाड़का-चोखला-बान्दरा परियोजना से कुल 172 गांव लाभान्वित हांेगे।
इनमें तहसील बायतु के 128, बाड़मेर के 40, पचपदरा के तीन तथा सिवाना का एक गांव शामिल हैै। इस योजना के लिए 202 ़36 करोड़ का कार्य आवन्टित किया जा चुका हैै।
इसी प्रकार कलस्टर पार्ट-बी के अन्तर्गत बाड़मेर तहसील के 67 गांवों के लिए निविधाएं प्रक्रियाधीन हैं जबकि शेष 239 गांवों के लिए सर्वे का कार्य प्रगति पर हैै।

हिमालय सा गौरव देगी
हिमालय के पानी से थार की प्यास बुझाने वाली यह परियोजना सरकार की उपलब्धियों में सर्वोपरि महत्त्व रखती है।हजारो-लाखों कण्ठों को तर करने का सुकून देने वाली यह परियोजना हिमालय की तरह राजस्थान सरकार का गौरव बढ़ाने वाली सिद्ध होगी।

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