शायद ही बनेगा भाजपा का प्रधानमंत्री
नई दिल्ली।
संभव है कि देश का अगला प्रधानमंत्री न तो कांग्रेस का होगा और न ही भाजपा का। यह आशंका जताई है भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने। आडवाणी ने अपने ब्लॉग में लिखा है कि 2014 में गैर कांग्रेसी और गैर भाजपाई प्रधानमंत्री बन सकता है। आडवाणी ने तीसरे मोर्चे की सरकार बनने की संभावना को भी खारिज किया है। आडवाणी का मानना है कि कांग्रेस या भाजपा के समर्थन के बगैर केन्द्र में सरकार बनाना नामुमकिन है। भाजपा और कांग्रेस समर्थित सरकारें टिकाऊ नहीं
भाजपा के वरिष्ठ नेता ने लिखा है कि पहले भी भाजपा और कांग्रेस के समर्थन से गैर कांग्रेसी और गैर भाजपाई प्रधानमंत्री बन चुके हैं। आडवाणी का कहना है कि कांग्रेस और भाजपा के समर्थन वाली सरकारें ज्यादा समय तक नहीं टिक पाई। केन्द्र में तभी स्थिरता आई जब या तो कांग्रेस का प्रधानमंत्री बना या भाजपा का। आडवाणी ने लिखा है कि पिछले ढाई दशक में देश में राष्ट्रीय राजनीति का जो स्वरूप बना है,उसके मुताबिक दिल्ली में ऎसी सरकार बनना व्यावहारिक रूप से असंभव है, जिसे कांग्रेस या भाजपा का समर्थन नहीं हो। इसलिए तीसरे मोर्चे की सरकार की संभावना खारिज की जा सकती है।
तीसरे मोर्चे की सरकार बनने की संभावना नहीं
आडवाणी ने लिखा है कि हाल ही में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ओर से प्रतिभा पाटिल के सम्मान में दिए गए रात्रिभोज के दौरान दो कैबिनेट मंत्रियों ने अनौपचारिक बातचीत में यह राय दी थी कि 16वें लोकसभा चुनाव में न तो कांग्रेस और न ही भाजपा सरकार बनाने के लिहाज से स्पष्ट बहुमत हासिल करने के लिए गठबंधन बना पाएंगे और 2013 या 14,जब भी चुनाव होंगे, तीसरे मोर्चे की सरकार बन सकती है। आडवाणी ने सरकार के मंत्रियों की राय के विपरीत अपने विचार रखते हुए कहा कि मैं आपकी चिंता समझता हूं लेकिन मैं इससे इत्तेफाक नहीं रखता। मेरी राय अलग है।
कांग्रेस को 100 से कम सीटें मिलेगी
आडवाणी ने अगले आम चुनाव में कांग्रेस की सीटें सौ से कम रह जाने की भी संभावना जताई है। आडवाणी ने कांग्रेस और यूपीए सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि देश में जब भी कांग्रेस या भाजपा प्रधानमंत्री रहा है,तभी स्थिरता रही है। लेकिन दुर्भाग्य से 2004 के बाद से यूपीए-1 और यूपीए-2 दोनों सरकारों में शासन बहुत खराब रहा। आडवाणी ने कहा कि लोगों का आमतौर पर मानना है कि कांग्रेस पार्टी के लिए लोकसभा चुनाव परिणाम के लिहाज से सबसे बुरा समय 1977 में आपातकाल के बाद हुए चुनाव रहे। लेकिन आश्चर्य नहीं होगा अगर अगले लोकसभा चुनाव का परिणाम कांग्रेस पार्टी के लिए 1952 के बाद से इतिहास का सबसे बुरा नतीजा साबित हो।
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