जसवंत सिंह के गृह जिले में खुशी का माहौल 
बाड़मेर
देश में 13वें राष्ट्रपति के चुनाव की सर गर्मियों के बीच अगले उपराष्ट्रपति को लेकर भी कशमकश शुरू हो गई है। सत्ताधारी संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की ओर से मौजूदा वाइस प्रेसीडेंट हामिद अंसारी को वापस मैदान में उतारने की घोषणा के बाद सोमवार को प्रमुख विपक्षी अलायंस राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने दार्जिलिंग से भाजपा सांसद जसवंत सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है। मूल रूप से सीमावर्ती बाड़मेर जिले के निवासी सिंह के नाम की नई दिल्ली में घोषणा होने के साथ ही जिले में खुशी लहर दौड़ गई। भाजपा समर्थकों ने एक-दूसरे को मिठाई बांटी और पटाखे छोड़ खुशी का इजहार किया। 
उपराष्ट्रपति पद है सिंह के लिए खास 
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के खास माने जाने वाले जसवंत सिंह भाजपा के केंद्रीय राजनीति में अपना प्रमुख प्रभाव रखते हैं। वाजपेयी सरकार में सिंह वित्त, विदेश, रक्षा, कंपनी मामलात, भूतल परिवहन सहित कई विभागों को संभाल चुके हैं। वहीं एक बार योजना आयोग के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के बाद मोहम्मद अली जिन्ना पर किताब लिखने के मामले में भाजपा से निष्कासित हुए जसवंत सिंह अब एक बार फिर पार्टी में आए हैं। 
गत दिनों बाड़मेर में दिए थे संकेत 
राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से अनबन के बाद फरवरी माह में दोनों ही नेता बाड़मेर में एक ही मंच पर साथ आए थे और साथ होने की घोषणा की थी। चौहटन कस्बे में आयोजित सभा में भी सिंह ने अपने संक्षिप्त संबोधन में इस बात के संकेत दिए थे कि वे अब सक्रिय राजनीति से दूर हो सकते है। यहां उन्होंने कहा था कि अब वसुंधरा और मानवेंद्र (जसवंत सिंह के पुत्र) को सुनो। अल्पसंख्यक समुदाय में अपनी विशेष पकड़ रखने वाले सिंह नौ बार राज्यसभा व लोकसभा सांसद रहे हैं। जैसा कि कई बार देखा गया है कि किसी भी पार्टी के प्रमुख नेता की विदाई किसी राज्य का राज्यपाल या फिर किसी संवैधानिक पद पर नियुक्ति के साथ हो। ऐसे में सिंह को उपराष्ट्रपति बना भाजपा अच्छे तरह से विदाई देना चाहती है। गौरतलब है कि भाजपा पूर्व में राजस्थान के कद्दावर नेता भैरोंसिंह शेखावत को भी उपराष्ट्रपति पद पर पहुंचा चुकी है। 
विदेश नीति का अच्छा तजुर्बा: 3 जनवरी, 1938 को जसोल के निकट पेमावास गांव में जन्मे जसवंत सिंह के विदेश मंत्री रहते हुए भारत के मित्र राष्ट्रों व विदेशी देशों से संबंध सुधरे थे। सिंह ने कई देशों के दौरे कर भारतीय विदेश नीति पर गहन अध्ययन किया है।अब यदि जसवंत सिंह देश के उपराष्ट्रपति बने तो इससे देश को फायदा होगा। 
बाड़मेर के लिए होगी गौरव की बात 
मूल रूप से जसोल के रहने वाले सिंह के उपराष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल होने के बाद थार के लोगों में खुशी का माहौल है। सिंह ने हालांकि बाड़मेर क्षेत्र से कभी किसी प्रकार का चुनाव तो नहीं लड़ा लेकिन यहां की राजनीति में उन्हें अच्छे राजनेता के रूप में पहचाना जाता है। यदि जसवंत सिंह उपराष्ट्रपति बनते है तो यह बाड़मेर और राजस्थान के लिए गौरव की बात होगी। 

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