झुक गई दीदी,दादा को समर्थन
नई दिल्ली।
राष्ट्रपति चुनाव में तृणमूल कांगे्रस की ममता बनर्जी ने एक और यू-टर्न लेकर अब यूपीए के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी के समर्थन में वोट देने का फैसला किया है। हो सकता है कि पश्चिम बंगाल में 26 फीसदी मुस्लिम वोटर को ध्यान में रखते हुए ममता ने ये निर्णय किया हो।
दो दिन पहले प्रणब मुखर्जी ने ममता से जब समर्थन की अपील की चिट्ठी लिखी तो उसे उन्होंने फेसबुक पर जारी कर दिया। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी उनसे प्रणब के लिए समर्थन मांगा था। वैसे ममता बनर्जी के पास इसके सिवाय कोई रास्ता नहीं बचा था क्योंकि प्रणव दा का विरोध करके उनका यूपीए में रहना संभव नहीं था और संगमा का साथ देकर वो मुस्लिम वोट बैंक को नाराज नहीं करना चाहती थी।
राष्ट्रपति के बाद ममता बनर्जी ने उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए भी हामिद अंसारी का विरोध करने का ऎलान किया और यूपीए की बैठक में उनके मंत्री मुकुल राय ने तृणमूल कांग्रेस की तरफ से गोपालकृष्ण गांधी और कृष्णा बोस के नाम का प्रस्ताव किया, जिसे खारिज कर दिया गया।
गोपाल गांधी ने भी कलाम की तरह जीत सुनिश्चित नहीं होने पर मैदान में उतरने की अपनी इच्छा जता दी। एनडीए को उम्मीद थी कि ममता बनर्जी के उम्मीदवार को समर्थन देकर वो उन्हें यूपीए से तोड़ सकते हैं, लेकिन ममता से इशारा नहीं मिलने पर एनडीए ने जसवंत सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है।वैसे ममता बनर्जी के साथ देने के फैसले से राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव के नतीजे पर कोई असर नहीं पड़ेगा। ममता के समर्थन के बिना भी यूपीए की जीत तय थी, लेकिन अब करीब छह फीसदी वोट और बढ़ जाएगा। अलबत्ता राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए परिवार में जरूर दरार पड़ गई, जहां जनता दल यूनाइटेड और शिवसेना यूपीए उम्मीदवार का समर्थन कर रहे हैं। चुनाव में अभी दो दिन बाकी हैं और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समर्थन को बढ़ाने की कोशिश में लगे हुए हैं।
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें