गुरु पूर्णिमा पर शहर के विभिन्न आश्रम सहित मठों में शिष्यों की भीड़ उमड़ पड़ी
गुरु पूर्णिमा के मौके पर मंगलवार को श्रद्धालुओं ने गुरु का श्रद्धा से वंदन किया। भक्तों ने गुरु के प्रति अपनी श्रद्धा और विश्वास प्रकट कर बेहतर भविष्य की कामना की। इसी क्रम में सांई बाबा के चौहटन स्थित मंदिर सांई दरबार में महाआरती का आयोजन हुआ। महाआरती के दौरान भक्तों ने बाबा के जयकारे लगाए। भक्तों ने सांई के दरबार में आरती कर खुशहाली के लिए मन्नत मांगी। सांई दरबार के गोविंद सोनी ने बताया कि कार्यक्रम में बाड़मेर सहित आसपास के कई गांवों से बाबा के भक्तों ने शिरकत की। महाआरती के बाद प्रसाद का वितरण किया गया। सुबह से ही चौहटन सांई मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। शाम को श्री सांई ग्रुप की ओर से पालकी निकाली गई। सांई पालकी झूलेलाल मंदिर प्रांगण से रवाना होकर मुख्य मार्ग होते हुए झूलेलाल मंदिर पहुंची। सांई की पालकी का जगह-जगह पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया। पालकी के साथ डीजे की धुन पर सांई के भजनों से उनकी महिमा का बखान किया गया। वही सांई पालकी के साथ सांई का रूप धरे कलाकार आकर्षण का केंद्र रहा।
बाड़मेर
गुरु पूर्णिमा के मौके पर मंगलवार को श्रद्धालुओं ने गुरु का श्रद्धा से वंदन किया। भक्तों ने गुरु के प्रति अपनी श्रद्धा और विश्वास प्रकट कर बेहतर भविष्य की कामना की। इसी क्रम में सांई बाबा के चौहटन स्थित मंदिर सांई दरबार में महाआरती का आयोजन हुआ। महाआरती के दौरान भक्तों ने बाबा के जयकारे लगाए। भक्तों ने सांई के दरबार में आरती कर खुशहाली के लिए मन्नत मांगी। सांई दरबार के गोविंद सोनी ने बताया कि कार्यक्रम में बाड़मेर सहित आसपास के कई गांवों से बाबा के भक्तों ने शिरकत की। महाआरती के बाद प्रसाद का वितरण किया गया। सुबह से ही चौहटन सांई मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। शाम को श्री सांई ग्रुप की ओर से पालकी निकाली गई। सांई पालकी झूलेलाल मंदिर प्रांगण से रवाना होकर मुख्य मार्ग होते हुए झूलेलाल मंदिर पहुंची। सांई की पालकी का जगह-जगह पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया। पालकी के साथ डीजे की धुन पर सांई के भजनों से उनकी महिमा का बखान किया गया। वही सांई पालकी के साथ सांई का रूप धरे कलाकार आकर्षण का केंद्र रहा। चंचल प्राग मठ में दोपहर बारह बजे संत अभयनाथ महाराज के सान्निध्य में गुरु पूर्णिमा महोत्सव श्रद्धा से मनाया गया। दूरदराज से आए भक्तों ने गुरु को माला पहना, श्रीफल आदि भेंट कर आशीर्वाद लिया। कई भक्तों ने गुरु से दीक्षा भी ली। सोमवार रात सत्संग का आयोजन हुआ। जिसमें संतों व कलाकारों ने विभिन्न भजनों की प्रस्तुति दी। बुधवार को प्रसादी का आयोजन किया जाएगा। पाकिस्तान से आए महिला-पुरुषों ने गुरु अभयनाथ से आशीर्वाद लिया। भक्तों ने अपने गुरु को ईश्वर तुल्य मान उनकी आरती उतारी तथा आशीर्वाद लिया। उत्तरलाई रोड स्थित जसदेर धाम के संत प्रतापपुरी ने बताया कि मंगलवार को गुरु का आशीर्वाद लेने के लिए सुबह से भी भीड़ रही। इस मौके पर धाम स्थित मंदिरों में आकर्षक शृंगार कर विशेष पूजा-अर्चना की गई। गुरु दर्शन के लिए दूरदराज के इलाकों से शिष्य आए। परिवार की खुशहाली के लिए तारातरा मठ में भी बड़ी संख्या में भक्तों ने मोहनपुरी महाराज के चरणों में शीश नवा आशीर्वाद लिया। इस मौके पर महाराज ने नए शिष्यों को गुरु मंत्र सहित उचित मार्गदर्शन दिया। शहर स्थित हमीरपुरा मठ में विभिन्न इलाकों से आए भक्तों ने नारायणपुरी महाराज से आशीर्वाद लिया। इसी तरह गंगागिरी मठ में भी भक्तों ने श्रद्धा से शीश नवा गुरु से आशीर्वाद लिया।
गुरु समर्पण में शिष्य की सार्थकता :
जो व्यक्ति विलीन होना जानता है वही विराट अस्तित्व को पा सकता है। बूंद स्वयं अपने को समुंदर में विलीन कर विशाल आकार पा लेती है। जो शिष्य अपना शुद्ध स्वरूप उपलब्ध करना चाहे सबसे पहले स्वयं को मिटाना होगा। यह बात गुरु पूर्णिमा पर चातुर्मासिक पर्व पर आराधना भवन में सभा को संबोधित करते हुए साध्वी डॉ.विद्युत प्रभा ने कही। उन्होंने कहा कि प्रकृति ने अभी चातुर्मास के संकेत नहीं दिए लेकिन अध्यात्म के क्षेत्र में तो चातुर्मास प्रारंभ हो गया। इन दिनों पदार्थों पर नियंत्रण करने के बजाए स्वयं पर विशेष नियंत्रण करना है ताकि सही मायने में विकास हो।



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