डिंपल का हाथ पकड़ ली अंतिम सांस
मुंबई।
मालूम हो कि राजेश खन्ना को कमजोरी की शिकायत के बाद दोबारा लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लीलावती अस्पताल से ही काका को उनके परिजन घर लाए थे। 29 दिसंबर 1942 को अमृतसर में जन्मे राजेश खन्ना का असली नाम जतिन खन्ना था। 1966 में उन्होंने पहली बार 24 साल की उम्र में आखिरी खत नामक फिल्म में काम किया था। इसके बाद राज,बहारों के सपने,औरत के रूप जैसी कई फिल्में की लेकिन उन्हें असली कामयाबी 1969 में आराधना से मिली। इसके बाद एक के बाद एक 14 सुपरहिट फिल्में देकर उन्होंने हिंदी फिल्मों के पहले सुपरस्टार का तमगा अपने नाम किया।
1971 में राजेश खन्ना ने कटी पतंग,आनन्द,आन मिलो सजना,महबूब की मेंहदी,हाथी मेरे साथी,अंदाज नामक फिल्मों से अपनी कामयाबी का परचम लहराए रखा। बाद के दिनों में दो रास्ते, दुश्मन,बावर्ची, मेरे जीवन साथी,जोरू का गुलाम,अनुराग,दाग,नमक हराम,हम शक्ल जैसी फिल्में कामयाब रहीं। 1980 के बाद राजेश खन्ना का दौर खत्म होने लगा। बाद में वह राजनीति में आए और 1991 में वे नई दिल्ली से कांग्रेस की टिकट पर संसद सदस्य चुने गए।
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