अटल चाहते थे गुजरात न जाएं कलाम 
नई दिल्ली। 
गुजरात में 2002 के दंगों के बाद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी नहीं चाहते थे कि तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल कलाम आजाद सरकारी दौरे पर गुजरात जाएं। यह खुलासा पूर्व राष्ट्रपति कलाम ने अपनी नई किताब 'टर्निंग प्वांइट' में किया है। इस किताब के अंश प्रकाशित होने के बाद राष्ट्रीय राजनीति में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। कांग्रेस जहां वाजपेयी को निशाना बनाए हुए हैं। 
गुजरात जाना जरूरी है ?
apj
मालूम हो कि गुजरात दंगों के बाद राज्य के अपने दौरे के बारे में भी डॉ. कलाम ने पुस्तक में अनेक खुलासे किए हैं। उन्होंने लिखा है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उनसे यह सवाल किया था कि क्या आप समझते हैं कि आपका इस समय गुजरात जाना जरूरी है। उन्होंने इसका जबाब देते हुए वाजपेयी से कहा था कि वह इसे एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी समझते हैं ताकि वह लोगों की पीड़ा को कम करने तथा राहत कार्यो में तेजी लाने में मददगार बन सकें साथ ही लोगों में एकजुटता का भाव पैदा हो। उन्होंने बताया है कि ऎसी परिस्थिति में कभी किसी राष्ट्रपति ने किसी घटनास्थल का दौरा नहीं किया था। इसलिए उन्हें अपनी इस यात्रा को लेकर अनेक सवालों का सामना करना पड़ा। मंत्रालय और नौकरशाही के स्तर पर यह सुझाव दिया गया कि उन्हें इस मौके पर गुजरात नही जाना चाहिए। इसकी एक बड़ी वजह राजनीतिक थी। डा. कलाम ने लिखा है कि इन सबके बावजूद उन्होंने वहां जाने का मन बनाया। वह तीन राहत शिविरों और नौ दंगा प्रभावित क्षेत्रों मे गए, जहां भारी नुकसान हुआ था। 
कांग्रेस ने वाजपेयी पर साधा निशाना
कांग्रेस ने इसपर अपने हिस्से के सुविधाजनक रहस्योदघाटन का सहारा लेते हुए वाजपेयी के उस बयान पर चोट की जो उन्होंने गुजरात दंगों के संदर्भ में दिया था। दंगों को काबू करने के लिए वाजपेयी ने मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को राजधर्म का पालन करने की नसीहत दी थी और इसे पूर्व प्रधानमंत्री की उदार छवि के रूप में देखा गया था। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने यहां कि डा. कलाम की पुस्तक के मुख्य अंश से यह बात सामने आई है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के शीर्ष नेतृत्व ने गुजरात दंगों के बाद तत्कालीन राष्ट्रपति को राज्य के दौरे पर जाने से रोका था। इससे यह हैरानी होना स्वाभाविक है कि उस समय दिया गया राजधर्म का बयान गंभीर था या सिर्फ आंसू पोंछने के लिए दिया गया था। कांग्रेस प्रवक्ता ने बहुत संभलते हुए यह बयान दिया और वाजपेयी का नाम नहीं लिया।
सोनिया गांधी के पीए पद पर उम्मीदवारी पर खुलासा
उधर, इसी किताब के अन्य अंश में सोनिया के प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी को पूर्व राष्ट्रपति कलाम की ओर से खारिज किए जाने के भ्रम को तोड़ा गया है। कलाम ने लिखा है कि यदि सोनिया गांधी ने पीएम पद की दोवेदारी पेश करती तो उनके पास उन्हें प्रधामंत्री नियुक्त करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था, लेकिन उन्होंने मनमोहन सिंह का नाम पेश कर आश्चर्य में डाल दिया। 
जब निरूत्तर हो गए कलाम
उन्होंने एक घटना का ब्योरा देते हुए लिखा है कि जब वह एक राहत शिविर में पहुंचे तो छह वर्ष का एक बच्चा उनके पास आया और उनके दोनो हाथ थामकर बोला, राष्ट्रपतिजी मुझे अपने माता पिता चाहिए, इस पर वह निरूत्तर हो गए। उन्होंने बताया है किइसके बाद उन्होंने उसी जगह पर जिलाधिकारी के साथ बैठक की। मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आश्वासन दिया कि इस बच्चे की शिक्षा और देखभाल की जिम्मेदारी सरकार उठाएगी। उन्होंने लिखा है इस यात्रा के दौरान उनके जहन में सिर्फ एक ही बात कौंधती रही कि क्या विकास ही हमारा एकमात्र एजेंडा नहीं होना चाहिए। किसी भी धर्म के आदमी को खुशी से जीने का मूलभूत अधिकार है। किसी को भी भावनात्मक एकता को खतरे में डालने का

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें

 
HAFTE KI BAAT © 2013-14. All Rights Reserved.
Top