हर 10 मिनट में टूटती है एक मां की सांस 
नई दिल्ली। 
भारत में हर एक घंटे में छह और हर दस मिनट में एक मां की मौत हो जाती है। यह खुलाया संयुक्त राष्ट्र की ओर से जारी रिपोर्ट में दिए गए आंकड़ों से हुआ है। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में 2010 में मां बनने के दौरान 57,000 महिलाओं की मौत हुई। इस आंकड़ों का अध्ययनों से साफ हुआ कि दस मिनट में एक मां को जिंदगी से हाथ धोना पड़ता है।
सोमवार को जारी इस रिपोर्ट में भारत में मातृत्व स्वास्थ्य को लेकर चिंता जाहिर की गई है। बताया गया है कि वर्तमान में प्रति एक लाख जन्मों पर मातृत्व मृत्यु दर 212 है जबकि इसे सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्य के तहत यह दर 109 तक लाए जाना है। 2015 तक हासिल किए जाने वाले आठ विकास लक्ष्यों के अनुरूप क्षेत्रीय प्रगति के लिए के बारे में भी रिपोर्ट में बताया गया कि मातृत्व मुत्यु दर को घटाने के मोर्चे पर प्रगति हुई है लेकिन तय उद्देश्य से अब भी बहुत दूर है।
संयुक्त राष्ट्र के जनसंख्या कोष की भारत में प्रतिनिधि फ्रेडेरिका मेइजर ने बताया कि भारत मातृत्व मुत्य दर को कम करने के मामले में आगे बढ़ रहा है। 1999 से 2009 के बीच मां बनने के दौरान होने वाली मौतों में 38 फीसदी की कमी आई है। लेकिन हम अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाए हैं। सरकार को मां बनने जा रही महिलाओं के घर के आसपास सहायक नसेंü और या दाइयां मुहैया करानी होंगी। 2010 के आंकड़े गवाह हैं कि भारत में हर रोज 150 महिलाएं मां बनने के दौरान मर रही हैं। सरकार को इस स्थिति को रोकना होगा और महिलाओं को गर्भ निरोधकों के बारे में जागरूक करना होगा।
गर्भावस्था या फिर बच्चे को जन्म देने के 42 दिन के भीतर 1999 में भारत में प्रति लाख पर 437 महिलाओं की मौत हुई थी, यह संख्या घटकर 212 हो गई है। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत इस संख्या को और कम किया जाना है।

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