मोदी को लेकर एनडीए टूट की कगार पर 
नई दिल्ली। 
एनडीए अभी तक राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार तय नहीं कर पाई है। ऊपर से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी को लेकर नया राग छेड़ दिया है। भाजपा गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने की कोशिश में है तो नीतीश खुद पीएम बनने का ख्वाब देख रहे हैं। नीतीश ने प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के लिए पांच शर्ते रखी है। जदयू ने नीतीश के राग में राग मिलाते हुए साफ कर दिया है कि अगर भाजपा ने मोदी को प्रधानमंत्री पद का दावेदार बनाया तो जदयू एनडीए से अलग हो सकती है। जदूय नेता देवेश ठाकुर ने कहा कि साम्प्रदायिक व्यक्ति प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में मंजूर नहीं होगा। उन्होंने कहा कि हम धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों से समझौता नहीं कर सकते। हम बलिदान देने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि नीतीश भी प्रधानमंत्री पद के लिए अच्छे उम्मीदवार हैं। 
नीतीश कुमार ने एक समाचार पत्र को दिए साक्षात्कार में कहा था कि आगमी लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर देना चाहिए। एनडीए की यही परंपरा रही है। शिवसेना ने भी नीतीश के सुर में सुर मिलाते हुए कहा है कि एनडीए को आगामी लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करना चाहिए। 
शिवसेना नेता संजय राऊत ने कहा कि एनडीए को 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले अपना उम्मीदवार घोषित कर देना चाहिए। हम नीतीश की उस राय से सहमत हैं कि प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार एनडीए का का होना चाहिए न कि भाजपा का। प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने से पहले अकाली दल और जदयू से विचार विमर्श करना होगा। 
उधर बिहार भाजपा नीतीश के खिलाफ उतर आई है। बिहार भाजपा का कहना है कि धर्मनिरपेक्षता की परिभाषा पहले तय होनी चाहिए। भाजपा विधायक गिरिराज सिंह ने हम भी धर्मनिरपेक्ष प्रधानमंत्री चाहते हैं लेकिन कांग्रेस ही यह नहीं सोच सकती है कि वही धर्मनिरपेक्ष पार्टी है। कांग्रेस ने मुस्लिमों और लालू प्रसाद यादव का समर्थन किया। जिन्होंने भागलपुर दंगों के दौरान कुछ नहीं किया। इस बीच जनता पार्टी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि नीतीश अपनी राय रखते हैं तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। हर कोई अपनी राय रखने के लिए स्वतंत्र है। नीतीश कुमार ने किसी का नाम नहीं लिया है। हम नीतीश कुमार की राय का स्वागत करते हैं। आखिरी फैसला एनडीए ही करेगा।

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें

 
HAFTE KI BAAT © 2013-14. All Rights Reserved.
Top