प्रणब के फैसले बदलने की तैयारी 
नई दिल्ली।
वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनते ही सरकार के भीतर उनके फैसलों से नाराज लोग सक्रिय हो गए हैं और उनके फैसलों को बदलवाने की कवायद में जुट गए हैं। खासतौर पर वोडाफोन को राहत देने और बजट की कुछ घोषणाओं को वापस कराने की तैयारी की जा रही है।
india newsसूत्र बताते हैं कि वोडाफोन टैक्स मामले में किसी तरह की छूट नहीं देने के प्रणब के फैसले से कुछ मंत्री सहमत नहीं। पुराने टैक्स मामलों को फिर से खोलने के उनके प्रस्ताव पर विदेशी निवेशकों और कंपनियों ने भी नाराजगी जताई थी। ये कंपनियां और खुद वोडाफोन भी कॉरपोरेट मामलों के मंत्री वीरप्पा मोइली के सामने अपना पक्ष रख चुकी हैं। मोइली ने पिछले दिनों प्रधानमंत्री को इस संबंध में एक पत्र लिखकर इस प्रावधान पर पुनर्विचार करने का भी आग्रह किया था।
वोडाफोन को राहत देने की कोशिश 
सूत्र बताते हैं कि स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एसएंडपी) की रेटिंग घटाने की चेतावनी का हवाला देते हुए मोइली ने वोडाफोन वाले प्रावधान को वापस कराने की कोशिश तेज कर दी है। प्रधानमंत्री के विदेश से लौटने के बाद वह इस बारे में बातचीत करेंगे। विदेशी निवेशक अगर देश से मुंह मोड़ते हैं तो भारत की रेटिंग घटने की संभावनाएं बहुत ज्यादा बढ़ जाएंगी। इस तर्क को लेकर कैबिनेट के कई अन्य मंत्री भी नियमों में ढील देने के पक्ष में हैं। वोडाफोन खुद भी इस फैसले को बदलवाने की कोशिश में है।
निर्यातकों को रियायत का पैकेज 
निर्यात की धीमी रफ्तार को देख वाणिज्य व उद्योग मंत्री आनंद शर्मा भी निर्यातकों को रियायत का एक और पैकेज दिलाना चाहते हैं। अप्रैल में निर्यात की रफ्तार सिर्फ 0.1 प्रतिशत पर सिमट गई है, इसलिए वाणिज्य मंत्रालय वित्त मंत्रालय से निर्यात कर्ज पर कुछ और राहत चाहता है। हालांकि प्रणब मुखर्जी स्पष्ट कर चुके हैं कि खजाने की मौजूदा हालत किसी क्षेत्र को पैकेज देने की स्थिति में नहीं है। अब आनंद शर्मा भी इस मसले को प्रधानमंत्री तक ले जाने पर विचार कर रहे हैं।
गार का प्रावधान
बजट में प्रस्तावित जनरल एंटी एवायडेंस रूल्स (गार) के प्रस्ताव को हालांकि वित्त मंत्री एक साल के लिए टाल चुके हैं, लेकिन माना जा रहा है कि आर्थिक मंत्रालयों से जुड़े कुछ अन्य मंत्री इस प्रावधान को हमेशा के लिए खत्म करा देना चाहते हैं। विदेशी निवेशकों में इस प्रावधान का इतना अधिक डर है कि इसके लंबित होने के बाद भी घरेलू बाजारों से उनका जाना बदस्तूर जारी है। 24 जून को उद्योगपतियों की वित्त मंत्रालय के साथ होने वाली बैठक में इस मसले के भी उठने की पूरी संभावना है।

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