राष्ट्रपति चुनाव: दोनों गठबंधनों में दरार
नई दिल्ली।
संगमा ने भाजपा का समर्थन मिलने के बाद गुरूवार को कहा कि वह किसी दल की ओर से नहीं बल्कि निर्दलीय उम्मीदवार के रप में राष्ट्रपति का चुनाव लडेंगे। मुखर्जी और संगमा ने अभी तक अपने नामांकन पत्र दाखिल नहीं किए हैं। नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 30 जून है तथा चुनाव 19 जुलाई को होगा।
राष्ट्रपति का चुनाव सर्वसम्मति से कराने की बात तो हर तरफ से उठी लेकिन सच्चाई यह है कि देश के दोनों गठबंधनों के अंदर भी इसे लेकर कभी भी सहमति नहीं बन पाई। संप्रग की प्रमुख घटक दल तृणमूल कांग्रेस ने मुखर्जी की उम्मीदवारी का शुरू में खुलकर विरोध कर दिया। हालांकि बाद में वह संप्रग में अलग थलग पड़ गई और कांग्रेस एवं संप्रग के अन्य दलों में सर्वसम्मति से मुखर्जी को अपना उम्मीदवार चुना। तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी ने पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का नाम आगे किया लेकिन डॉ. कलाम ने स्वयं चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा कर दी।बनर्जी अभी तक निर्णय नही किया है कि वह किसे समर्थन देंगी। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) भी संप्रग की तरह एकजुट नही रह सका। राजग के प्रमुख दल भारतीय जनता पार्टी और अकाली दल ने संगमा को समर्थन देने का निर्णय ले लिया। वहीं जनता दल यू और शिवसेना ने मुखर्जी का समर्थन करने की घोषणा की है।
अब तक जिन राजनीतिक दलों ने अपना रूख स्पष्ट किया उससे मुखर्जी का रायसीना हिल पहुंचना तय है। संप्रग के अलावा समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, जनता दल (यूनाइटेड) और शिवसेना जैसे प्रमुख दल मुखर्जी का समर्थन करने की घोषणा कर चुके हैं। दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी शिरोमणि अकाली दल, बीजू जनता दल और अन्नाद्रमुक ने संगमा का समर्थन करने का एलान किया लेकिन वह जीत के आवश्यक मत से करीब ढाई लाख मत पीछे हैं।
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