आरटीडीसी को लगाया 18 करोड़ का फटका 
जयपुर।
home newsराजस्थान पर्यटन विकास निगम (आरटीडीसी) के अफसरों ने चहेती ट्रेवल कम्पनियों (जनरल सेल्स एजेन्ट) को फायदा पहुंचाने के लिए निगम को ही 18 करोड़ रूपए का फटका लगा दिया। फटका लगाने वाली ये कम्पनियां निगम की दोनों शाही रेलों में बुकिंग के लिए अधिकृत हैं। इन कम्पनियों ने पहले तो शाही रेल रॉयल राजस्थान ऑन व्हील्स और पैलेस ऑन व्हील्स की अधिकांश सीटें (केबिन) बुक करवा लीं और फिर प्रस्थान के कुछ दिन पहले अधिकांश एडवांस बुकिंग रद्द कर दी। इससे शाही रेलों के कई फेरे गिने-चुने पर्यटकों को लेकर हुए।
वहीं बुकिंग रद्द करने के एवज में आरटीडीसी ने अनुबंध (एमओयू) के तहत तय रिकवरी राशि भी नहीं वसूली जिससे आरटीडीसी को 18.03 करोड़ रूपए का नुकसान झेलना पड़ा। अफसरों और ट्रेवल कम्पनियों की मिलीभगत से 2010-11 में आरटीडीसी को हुए इस करोड़ों के नुकसान का खुलासा राजस्थान महालेखाकार की ऑडिट जांच में हुआ है। जांच में पाया कि वसूली नहीं होने से पैलेस ऑन व्हील्स को 9.16 करोड़ और 8.86 करोड़ रूपए की चपत लगी। महालेखाकार ने जांच में इस मामले पर तल्ख टिप्पणी करते हुए आरटीडीसी प्रशासन से रिकवरी नहीं करने और ट्रेवल कम्पनियों को अनुचित स्वतंत्रता देने के कारणों का जवाब मांगा है।
बुकिंग राशि जमा नहीं कराई
दोनों शाही रेलों की 90 फीसदी बुकिंग चार कम्पनियों रॉयल इण्डियन ट्रेन जर्नरी (आरआईटीजे), लग्जरी हॉलिडे, पैलेस टूर और हॉलिडेज टू ट्रेजर ने की। ऑडिट जांच में सामने आया कि आरआईटीजे व लग्जरी हॉलिडे ने अग्रिम बुकिंग की बीस फीसदी राशि जमा नहीं कराई। प्रस्थान के साठ दिन पहले यात्रियों का विवरण नहीं दिया। टिकट राशि शाही रेलों के प्रस्थान के एक-दो दिन पहले और बाद में भी जमा कराई। इससे लगता है कि आरटीडीसी ने कम्पनियों का अनुचित पक्ष लेकर अनुबंध शर्तो का उल्लंघन किया।
बुकिंग रद्द की सूचना तक नहीं दी
अनुबंध शर्तो के मुताबिक सभी ट्रेवल कम्पनियों को तय समय में कंफर्म टिकट के रद्द होने की सूचना आरटीडीसी को देने के प्रावधान है, लेकिन ऑडिट जांच में सामने आया कि किसी भी कम्पनी ने टिकट रद्द होने की जानकारी नहीं दी और न ही निरस्तीकरण चार्जेज कम्पनियों से वसूले गए। निरस्तीकरण चार्जेज नहीं वसूलने से 18.03 करोड़ रूपए का नुकसान आरटीडीसी को हुआ।
शर्तो का उल्लंघन 
कम्पनियों को बुकिंग के बाद टिकट की बीस फीसदी राशि आरटीडीसी को जमा करानी आवश्यक थी, लेकिन इसकी पालना नहीं हुई।

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