खत्म हुई झोंपों में रहने की मजबूरी, मिला जीने का सुकून
राजस्थान के मरुस्थलीय सरहदी जिले जैसलमेर में मुख्यमंत्री ग्रामीण बीपीएल आवास योजना के अन्तर्गत बने मकान गरीबों के लिए अपने आशियानों के रूप में सुकून दे रहे हैं। अब तक झोंपों में किसी तरह जीवन बसर करते रहे ग्रामीणों के लिए अपने मकान का होना सरकार के किसी वरदान से कम नहीं है।इस योजना की बदौलत जैसलमेर जिले में बड़ी संख्या में ऐसे आवासों का निर्माण आम लोेगों के लिए जीवन की सबसे बड़ी सफलता के रूप में स्थापित हो रहा है। मुख्यमंत्री ग्रामीण बीपीएल आवास योजना से जुड़े इन आवासों ने गरीबों के चेहरे खिला दिए हैं।जैसलमेर जिले के रामा गांव में मुख्यमंत्री ग्रामीण बीपीएल आवास योजना में कई मकान बन गए हैं अथवा पूर्णता पर हैं। इन मकानों के बनने से ग्रामीणों को स्वाभिमान और सुकून के साथ जीवनयापन के अवसर मिले हैं। इससे वे बेहद खुश हैं और सरकार को लाख-लाख धन्यवाद देने लगे हैं।
रामा गांव की ही बेवा शायर अपने पति हीरदान की मौत के बाद घास-फूस के बने झौंपे में दिन गुजार रही थी। उसके दो बच्चे मामूली खेतीबाड़ी व पशुपालन से जैसे-तैसे घर चला रहे हैं। पूरे परिवार की आमदनी भी इतनी नहीं हैं कि वे झौंपे को मकान की शक्ल दे सकें।
जैसलमेर
राजस्थान के मरुस्थलीय सरहदी जिले जैसलमेर में मुख्यमंत्री ग्रामीण बीपीएल आवास योजना के अन्तर्गत बने मकान गरीबों के लिए अपने आशियानों के रूप में सुकून दे रहे हैं। अब तक झोंपों में किसी तरह जीवन बसर करते रहे ग्रामीणों के लिए अपने मकान का होना सरकार के किसी वरदान से कम नहीं है।इस योजना की बदौलत जैसलमेर जिले में बड़ी संख्या में ऐसे आवासों का निर्माण आम लोेगों के लिए जीवन की सबसे बड़ी सफलता के रूप में स्थापित हो रहा है। मुख्यमंत्री ग्रामीण बीपीएल आवास योजना से जुड़े इन आवासों ने गरीबों के चेहरे खिला दिए हैं।जैसलमेर जिले के रामा गांव में मुख्यमंत्री ग्रामीण बीपीएल आवास योजना में कई मकान बन गए हैं अथवा पूर्णता पर हैं। इन मकानों के बनने से ग्रामीणों को स्वाभिमान और सुकून के साथ जीवनयापन के अवसर मिले हैं। इससे वे बेहद खुश हैं और सरकार को लाख-लाख धन्यवाद देने लगे हैं। अब मेरा भी मकान है
रामा गांव की ही बेवा शायर अपने पति हीरदान की मौत के बाद घास-फूस के बने झौंपे में दिन गुजार रही थी। उसके दो बच्चे मामूली खेतीबाड़ी व पशुपालन से जैसे-तैसे घर चला रहे हैं। पूरे परिवार की आमदनी भी इतनी नहीं हैं कि वे झौंपे को मकान की शक्ल दे सकें।खुद शायर भी वृद्धावस्था में होने से ज्यादा काम नहीं कर पाती। इन हालातों में मुख्यमंत्री बीपीएल आवास योजना से मिले सम्बल से उसका घर छत तक बन गया है।
वह चाहती है कि शेष राशि भी उसे शीघ्र मिल जाए ताकि मकान का काम बरसात से पहले पूरा हो जाए और इस बार की बरसात में उसे चैन से रहने को मिले। अपने मकान की यह खुशी उसके चेहरे से साफ-साफ झलकती भी है।
यह सब संभव कर दिखाया सरकार ने
रामा गांव की सुगणा की पत्नी महादान चारण के लिए मुख्यमंत्री बीपीएल आवास योजना वरदान साबित हुई। इसके लिए उसे 45 हजार रुपए स्वीकृत होने के साथ ही शौचालय निर्माण के लिए 3200 रुपए भी मंजूर हुए।
खुद बेरोजगारी में दिन काट रहे सुगणा के पति महादान के लिए झोंपे में रहना ही नियति बन गया था। सुगणा और महादान ने कभी सोचा भी नहीं था कि उनका अपना मकान भी होगा लेकिन इस योजना में बना उसका आशियाना उसके पूरे जीवन के लिए खास उपलब्धि से कम नहीं हैं।सुगणा का पति महादान भी चाहता है कि दूसरी किश्त भी जल्द ही मिल जाए ताकि उसके द्वारा मकान बनाने के लिए परिचितों से ली गई सामग्री का चुकारा हो जाए। सुगणा व महादान को नरेगा से जोड़कर भी लाभान्वित किया गया है
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