थार में आई पीलू की बहार
बाड़मेर

स्वादिष्ट है मारवाड़ का मेवा
जाल के पेड़ पर लगने वाला यह फल देखने में जितना रसीला लगता है, उतना ही खाने में स्वादिष्ट होता है। यह फल हमें राजस्थान की पिश्चमी सत्यता की याद दिलाता है। बड़े बुजुर्गों का मानना है कि भीषण गर्मीर में पीलू खाने से हैजे जैसी बीमारियों से बचाव किया जा सकता है। वहीं दूसरी ओर रास्ते में थके यात्रियों के लिए पीलू ऊर्जा का संचार करते हैं। पीलू व इसके सूखने के बाद बनने वाली कोकड़ लू व गर्मीर से बचाव के लिए रामबाण से कम नहीं है।
ऐसे करते हैं इकट्ठा
अक्सर मई-जून में जाल के पेड़ पर लगने वाले पीलू को बीनने के लिए स्थानीय लोग अलग-अलग अंदाज में जुट जाते है। इसे इकट्ठा करने के लिए लोटा या केतली पर पक्का धागा बांधकर उसे कमर पर टांग दिया जाता है। इसके बाद तेज गति से पीलू बीनने का कार्य किया जाता है। वहीं पीलू की सीजन के अंतिम पड़ाव पर तेज आंधी और हवा के दौरान ग्रामीण जाल के पेड़ के नीचे खड़े रहते है और पीलू का इकट्ठा कर लिया जाता है।
बाड़मेर जिले े समस्त गांवो में गर्मी े मौसम आते ही पीलू, ेकड़, की बाहर आती है जहां लोग पीने का पानी पीने े लिए तरसते है वही यहां पर पीलू का स्वाद चखते ही गर्मी की पीड़ा को लोग भूल ही जाते है। और यह पीलू एक तरफ खाते मे बहुत ही स्वादिष्ट होते है वही वह गर्मी े बचावों में भी एक है जो दवा का भी असर करती है। पीलू की बहार
क्या पहलू से कोई व्यंजन भी बनाया जा सकता है।
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