रेल यात्रियों की जान मिट्टी के मोल के बराबर
जयपुर।
मकराना में रेलवे लाइनों को क्षति पहुंचाने वाले खनन माफिया पर कोर्ट की सख्ती के बाद आखिरकार 16 साल बाद हथौड़ा चल गया। मगर ये स्थिति सिर्फ मकराना तक ही सीमित नहीं है। राजधानी से 25 किमी. दूर कानोता में मिट्टी के लिए ऎसा अंधाधुंध खनन जारी है कि रेलवे ट्रैकों का आधार हटता जा रहा है। इस पर रेलवे और स्थानीय प्रशासन की नजर नहीं पड़ी है।
कानोता में अवैध ईट भट्टों की भरमार हैं। इन भट्टों की भूख मिटाने के लिए मिट्टी की जरूरत होती है। स्थिति ये है कि किसानों को रूपयों का लालच देकर उपजाऊ जमीन तक इस इस्तेमाल में ली जा रही है। अब तो सार्वजनिक स्थानों, वन भूमि और रेलवे लाइनों के आस-पास का इलाका भी इसकी चपेट में आ चुका है।
दरकने लगा पटरियों का आधार
कई स्थानों पर पटरियों से महज 10 फीट की दूरी पर ही मिट्टी निकाल-निकालकर गड्ढे कर दिए गए हैं। जगह भरने के लिए रेलवे की जमीन पर ही ईटे रख दी गई हैं तो कई जगह पर पटरियों के पांच फीट पास तक खुदाई कर दी गई है। बरसात के दौरान गड्ढों में पानी भरने और मिट्टी धसकने से हादसे की आशंकाएं कई गुना बढ़ गई हैं। रेलवे प्रशासन को तो कानोता स्टेशन से 500 मीटर के दायरे में हो रही खुदाई भी नहीं नजर आ रही है।
साहब हम क्या करें?
ईट-भट्टों पर काम कर रहे मजदूर रामचरण और महिला विषनी ने पूछने पर बताया, मिट्टी खोदने के लिए जेसीबी आती है। इसमें हम भी क्या कर सकते हैं, भट्टों के लिए मिट्टी मिलना मुश्किल हो रहा है, इसलिए रेल लाइनों के आस-पास भी खुदाई हो रही है।
मामला देखेंगे
यह गंभीर जानकारी सामने आई है। इसकी जांच करवाकर नियमानुसार सुरक्षा के प्रबंध किए जाएंगे।
ललित बोहरा, मुख्य जन सम्पर्क अघिकारी, उत्तर-पश्चिम रेलवे
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