अल्वा हमारी नई राज्यपाल 
नई दिल्ली। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता मारग्रेट अल्वा को राजस्थान का नया राज्यपाल नियुक्त किया गया है। अल्वा अभी उत्तराखण्ड की राज्यपाल हैं। उनके नाम की अघिसूचना शनिवार देर रात जारी कर दी गई। उनका कार्यकाल 19 जुलाई 2014 तक रहेगा। वे 10 मई तक जयपुर पहुंचेंगी व 12 मई को उनके शपथ लेने की संभावना है। बी.वी. वांग्चू को गोवा और डॉ. अजीज कुरैशी को उत्तराखंड का नया राज्यपाल बनाया गया है। महाराष्ट्र के राज्यपाल के. शंकर नारायणन और आंध्रप्रदेश के राज्यपाल ई.एस.एल. नरसिम्हन का कार्यकाल बढ़ाया है।
home newsपाटील पर था प्रभार
26 अप्रेल 2010 को प्रभा राव के निधन के बाद से पंजाब के राज्यपाल शिवराज पाटील के पास राजस्थान का अतिरिक्त प्रभार था। पाटील को यहां शनिवार को 2 साल पूरे हो गए।
जन्म : 14 अप्रेल 1942 को मैंगलोर (कर्नाटक) में।
परिवार : 1964 में निरंजन अल्वा से शादी की। उनके तीन पुत्र एवं एक पुत्री है। पुत्र निरेट व निखिल ने मिडीटेक कंपनी स्थापित की।
कॅरियर : राजीव मंत्रिमण्डल में रही। 1974 में राज्यसभा में चुनी गईं। बतौर सांसद 30 साल का अनुभव है। अल्वा वकील भी रही हैं।
दस साल में राज्य ने देखे दस राज्यपाल
राजस्थान में 2003 में अंशुमान सिंह के कार्यकाल पूरा करने के बाद कोई राज्यपाल अपना टर्म पूरा नहीं कर पाया। निर्मलचन्द जैन, एस.के. सिंह और प्रभा राव का पद पर रहते निधन हो गया था। मदनलाल खुराना ने इस्तीफा दे दिया था। जबकि प्रतिभा देवी सिंह पाटील का चयन राज्यपाल रहते हुए राष्ट्रपति के लिए हो गया था।
सबके लिए खुले रहेंगे दरवाजे
मैं राजभवन के दरवाजे बंद करके रखने वाली नहीं हूं। मेरे पास जो भी समस्या लेकर आएगा, उसकी मदद करूंगी। खासतौर पर महिलाओं के लिए उनसे जो भी बन पड़ेगा, करूंगी। ये कहना है राजस्थान की नवनियुक्त राज्यपाल मारग्रेट अल्वा का।
'पत्रिका' ने उनसे देहरादून सम्पर्क कर बधाई दी, तो उनका कहना था कि उन्हें बहुत खुशी है कि वे राजस्थान आ रही हैं। दूरभाष पर उन्होंने कहा कि राजस्थान उनके लिए नया नहीं है। उन्होंने वहां बहुत काम किए हैं। उन्हें फिर काम करने का मौका मिला है। राजभवन में उनसे कोई भी आकर मिल सकेगा। सबके लिए दरवाजे खुले रहेंगे। देहरादून में भी उन्होंने यही किया था। यहां भी कोई भी आकर उनसे मिल सकता था। 
यह पूछे जाने पर कि क्या वे जनता दरबार लगाएंगी? उनका कहना था कि इसकी जरूरत ही नहीं पड़ेगी। मैं पहले ही कह चुंकी हूं कि उनका काम लोगों की समस्याएं जानना है। वे निराकरण करवाने की कोशिश करेंगी। काम सरकार को करना है। अल्वा ने पत्रिका को बताया कि उनके देहरादून में कुछ कार्यक्रम पहले से लगे हुए हैं, उन्हें निपटाने के बाद ही वे दस मई तक जयपुर पहुंचेंगी।

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