अहिंसा-अणुव्रत से ही शांति संभव
सिवाना
अहिंसा एवं अणुव्रत से ही शांति व सौहाद्र्र का वातावरण कायम किया जा सकता है। अहिंसा को जीवन में उतारें, आवेश से बचें। इन्द्रियों, मन व वाणी पर संयम रखें। आचार्य महाश्रमण ने मंगलवार को सिवाना के चंपावाड़ी जैन संस्थान प्रांगण में जैन श्वेतांबर तेरापंथ सभा व जैन संघ सिवाना के तत्वावधान में आयोजित अभिवंदना समारोह में लोगों को प्रेरित करते हुए यह बातें कही। उन्होंने कहा कि जहां धर्म है वहीं मंगल है। जिसका मन धर्म में रम जाता है उसको देवता भी नमन करता है। धर्म अमृत तुल्य है। अमृत रूपी धर्म को प्राप्त करने के लिए अलग-अलग संप्रदाय धर्म के माध्यम हैं। उन्होंने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ ने देश में सात वर्ष तक अहिंसा यात्रा के माध्यम से अहिंसा व सौहाद्र्र का संदेश दिया। गुजरात दंगों के दौरान उन्होंने अहमदाबाद में लोगों को अहिंसा व सांप्रदायिक सौहाद्र्र का पाठ पढ़ाया। उन्होंने कहा कि आगे चातुर्मास व मर्यादा महोत्सव भी इसी क्षेत्र में है। राज्य अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष गोपा राम मेघवाल ने कहा कि आचार्य महाश्रमण की ओर से चलाई जा रही अहिंसा यात्रा आमजन में सांप्रदायिक सौहाद्र्र, शांति तथा भाईचारा कायम रखने का सराहनीय कदम है। कलेक्टर डॉ. वीणा प्रधान ने अहिंसा यात्रा को सराहनीय कार्य बताते हुए आचार्य का अभिवंदन किया।

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