चेस्ट पर चमके बिल्ले
श्रीगंगानगर। 
चालीस साल पहले की तरह जिला मजिस्ट्रेट, अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट के सहायकर्मी चेस्ट पर मजिस्ट्रेट कर्मी के बिल्ले लगाए नजर आने लगे हैं। जिला कलक्टर के आदेश से यह व्यवस्था कायम की गई है ताकि सहायक कर्मी को आमजन पहचान सके।
देश की आजादी से लेकर वर्ष 1971 तक कलक्टे्रट में जिला मजिस्ट्रेट, अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट व उप जिला मजिस्ट्रेट के सहायक कर्मी पूरी वर्दी में ड्यूटी करते थे। आमजन को उनकी पहचान सफेद वर्दी, लाल कपड़े की क्रॉस पट्टी, छाती पर जिला मजिस्ट्रेट न्यायालय का बिल्ला, खाकी रंग की बेल्ट और सिर पर काली टॉपी से होती थी। चालीस साल से अधिक समय से बिल्ला, टॉपी आदि सामान कलक्ट्रेट के स्टोर में धूल फांक रहा था। मामला जिला कलक्टर के ध्यान में आने पर उन्होंने यह परम्परा फिर शुरू कर दी है। गुरूवार को अतिरिक्त जिला कलक्टर (प्रशासन) और जिला कलक्टर के सहायक कर्मी पोशाक में नजर आए।
यूं पता चला
जिला कलक्टर ने गत दिवस कलक्ट्रेट के स्टोर का निरीक्षण किया। उनकी नजर एक कार्टून में पड़े स्टील के बिल्लों पर पड़ी। इन पर जिला मजिस्ट्रेट न्यायालय व अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट न्यायालय लिखा हुआ था। कलक्टर ने बिल्लों के बारे में जानकारी मांगी तो स्टोर कीपर ने उन्हें बताया कि करीब चालीस साल से इनका इस्तेमाल नहीं हुआ। यह सहायक कर्मी की पोशाक में शामिल थे। इस पर जिला कलक्टर अम्बरीष कुमार ने इनको काम में लेने के निर्देश जारी किए।
पहचान हो जाती है
'मजिस्ट्रेट के सहायक कर्मी की आमजन को पहचान के लिए वर्दी में रहने के आदेश है। उन्हें बिल्ले, नेम प्लेट सहित पूरी वर्दी में रहने के आदेश दिए गए हैं।' 
रतन सिंह लांबा
अतरिक्ति जिला कलक्टर (प्रशासन)
अभी चार को जारी
'बिल्ला, टॉपी, बेल्ट व लाल रंग की पट्टी चार कर्मचारियों ने जारी करवा ली है। अभी चार और शेष है। जो अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (शहर) और उप जिला मजिस्ट्रेट के सहायक कर्मियों के लिए है। इन्हें सरकारी भाषा में चपड़ास बेल्ट के नाम से पुकारा जाता है।' 
विनोद गर्ग
स्टोर इंचार्ज, कलक्टे्रट, श्रीगंगानगर

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