टाट्रा ट्रक मामले में सीबीआई के छापे
नई दिल्ली। सेना में विवाद का केन्द्र बने टाट्रा ट्रक की खरीद में कथित डील को लेकर सीबीआई ने बुधवार को दो पूर्व सैन्य अधिकारियों समेत तीन जनों के ठिकानों पर छापा मारा। फिलहाल छापे की कार्रवाई जारी है।सूत्रों के अनुसार सुबह सीबीआई की टीमों ने दिल्ली और नोएडा स्थित टाट्रा आपरेशन हेड अनिल रमानी, रिटायर कर्नल दत्त और रिटायर ब्रिगेडियर पीसी दास के ठिकानों पर छापा मारा। दोनों पूर् व सैन्य अधिकारी वे हैं जिनके कार्यकाल में टाट्रा ट्रक खरीद में अनियमितता की बात सामने आ रही है। मालूम हो कि मंगलवार को सीबीआई ने बीईएमएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक वीआरएस नटराजन, वेक्ट्रा ग्रुप के चीफ रवि ऋषि और रक्षा कारोबार के रिटायर्ड डायरेक्टर वी. मोहन से पूछताछ की थी। सीबीआई के सूत्रों ने कहा कि नटराजन को केवल मामले के कुछ बिंदुओं पर सफाई देने के लिए बुलाया गया था क्योंकि वह मामले में आरोपी नहीं हैं। उनसे बुधवार को भी पूछताछ हो सकती है।सीबीआई उनसे 2003 में टाट्रा सिपोक्स यूके के साथ सौदे का कथित तौर पर नवीनीकरण किए जाने की वजह पूछ सकती है जबकि करार 2006 में किया जाना था।सूत्रों ने कहा कि टाट्रा सिपोक्स यूके ने 1997 में बीईएमएल के साथ ट्रक आपूर्ति सौदे पर दस्तखत किए थे जो कि उस रक्षा खरीदी नियम का कथित तौर पर उल्लंघन है जिसके मुताबिक खरीदी सीधे केवल मूल उपकरण निर्माता से की जानी चाहिए।सीबीआई ने आरोप लगाया है कि टाट्रा सिपोक्स यूके हर तरह की जमीन पर चल सकने वाले इन ट्रकों के मूल निर्माता नहीं हैं और इस तरह इस नियम का उल्लंघन किया गया कि रक्षा खरीदी मूल निर्माता से की जानी चाहिए।ज्ञातव्य है कि लंदन स्थित कंपनी वेक्ट्रा के स्वामित्व वाली चेक गणराज्य की कंपनी टाट्रा रक्षा सौदों के लिए भारत के सबसे बड़े सार्वजनिक उपक्रमों में से एक बेंगलूरू स्थित भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल) को पुर्जों की आपूर्ति करती है। इसके बाद बीईएमएल में ट्रकों को असेम्बल कर सेना को बेचा जाता है। सेनाप्रमुख जनरल वीके सिंह ने पिछले माह खुलासा किया था कि घटिया ट्रकों को मंजूरी देने के लिए उन्हें रिश्वत की पेशकश की गई थी और इसी कारण सेना के टाट्रा से किए गए सौदों की जांच शुरू की गई। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1986 से सेना ने टाट्रा से 7,000 ट्रक खरीदे हैं। सेनाप्रमुख ने कहा था कि लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) तेजिंदर सिंह ने घटिया टाट्रा ट्रकों की आपूर्ति की मंजूरी देने के लिए उन्हें 14 करोड़ रूपए की पेशकश की थी।

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