357 दिन पूर्ण कर चुका धरना इतिहास रचने की और
इतिहास रचने की और करीम का हौसला जिन्दगी के पैसठ बंसत देख चुका करीम खान इस बार भी सड़क पर ही बसंत समेत दूसरे मौसम पार लेगा? यह सवाल हर उस इंसान के जेहन में गूंज रहा है जो यहां से पिछले 357 दिनों में सैकड़ो मर्तबा गुजरा होगा। मंत्रिमण्डल बदल गया बड़े-बड़े घोटालों में आरोपित हाई प्राफाईल लोग जेल चले गए लेकिन करीम की जिंदगी उसी फटे हाल टेंट में अख़बार की कतरनों को देखकर जी रहा है। तत्कालीन जिला कलक्टर गौरव गौयल के आवश्वासन भरतपुर चले गए और नई जिला कलक्टर डॉ. वीणा प्रधान को समझाने के लिए एक साल का धरना और चलाने की आशंका करीम के लिए परेशानी बन गई है।
जी हां ये दर्द हैं उन पैतीस परिवार के सदस्यों के जो पिछले 357 दिनों से लगातार अपनी ही जमीन का कब्जा लेने के लिए कलेक्टर कार्यालय के समझ धरने पर बैठे हुए हैं। सर्दी हो गर्मी, आंधी हो या तूफान, होली हो या दीपो का पर्व दीपावली इनके लिए सब कुछ यहीं पर बना हुआ है। मामला है राजस्थान के सीमावर्ती बाडमेंर जिले की सिणधरी पंचायत समिति के साजटा गांव का जहां ये लोग अपने हक के लिए संघर्ष करते आ रहे हैं, मगर ताज्जुब की बात तो ये है कि प्रशासन के कानों में जूं तक नहीं रेंगी। खास बात तो ये है कि इन पीड़ित परिवारों को अपनी ही जमीन से बेदखल प्रशासन द्वारा ही किया गया है और अपनी ही जमीन के लिए इन्हें आज ये जिल्लत सहनी पड़ रही है. आज इनकी अपनी जमीन अपनी नहीं रही।
बाडमेर के तत्कालीन जिला कलेक्टर गौरव गोयल ने, जिस भूमि से इन परिवारों को बेदखल किया गया है उसकी जगह उन्हें दूसरी जगह आवंटित करने के लिए पत्रावली विकास अधिकारी को भेजी थी। वहीं दूसरी ओर सिणधरी पंचायत समिति के विकास अधिकारी का कहना है कि इन परिवारों ने पंचायत की भूमि पर अतिक्रमण कर रखा था इसलिए इन्हें अतिक्रमणकारी मानते हुए हटाया गया है।
सिणधरी पंचायत समिति के विकास अधिकारी बी के श्रीवास्तव का कहना है कि इन परिवारों ने गत पंचायत चुनाव के दौरान पंचायत भूमि पर कब्जा कर लिया था। पंचायत समिति के निर्वाचित सरपंच ने कब्जा की गई भूमि को मुक्त करवाने का निर्णय कर अतिक्रमण हटाया है। उन्होंने कहा कि जिस भूमि से इन लोगों को हटाया गया है, पंचायत रिकार्ड में, उस भूमि का कब्जा उनके पास है यह साबित नहीं हो रहा है। धरने पर बैठे पैतीस परिवारों के सदस्य पहले प्रचंड गर्मी के बाद में बारिश और बारिश के बाद कड़ाके की सर्दी की परवाह नहीं कर न्याय पाने की आस में जिला मुख्यालय के समक्ष धरने पर बैठे हैं एवं हर दिन अगली सुबह का इंतजार कर रहे हैं। धरने पर बैठे परिवारों ने धरनास्थल पर ही होली, दिपावली व नया वर्ष मनाया। न्याय की उम्मीद में धरना देने वालों में से एक करीम खां अठारह दिनों से आमरण अनशन पर रहकर अस्वथ्य रह चुका है। उसके स्वास्थ्य में आई गिरावट के बाद जिला प्रशासन ने उसे अस्पताल में भर्ती करवा दिया है। करीम खां का कहना है कि जब तक सांस चलेगी तब तक वह न्याय के लिए लड़ता रहेगा।
इन लोगों का कहना है कि पूर्व जिला कलेक्टर ने न्याय करते हुए विकास अधिकारी को पट्टे जारी करने के निर्देश दे दिए थे, लेकिन ग्राम पंचायत साजटा के सरपंच व ग्रामसेवक की मनमानी के कारण पट्टे जारी नहीं हो रहे हैं. मामले में बाडमेर जिला कलेक्टर डॉ वीणा प्रधान जहा इन लोगो के ज्ञापन लेने के आलावा कोई काम करते नजर नही आ रहे है वही दूसरी तरफ इस पूरे मामले में कोई भी जनता का नुमायन्दा कभी भी करीम के पास नजर नही आया। सरकार जहां एक तरफ गरीबो के आसु पोंछने का दावा करती है वही यह दावा करीम के धरने पर आकर कही खत्म सा नजर आता है।
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें