ममता की मेहरबानी से बची सरकार
नई दिल्ली. एनसीटीसी का विरोध करते हुए बीजेपी ने आज राज्यसभा में संशोधन प्रस्ताव पेश किया। बीजेपी नेता वेंकैया नायडू ने कहा, ‘हम एनसीटीसी पर पीएम के आश्वासन से संतुष्ट नहीं हैं।’ नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने कहा कि एनसीटीसी पर कोई भी फैसला करने से पहले राज्य सरकारों की सहमति लेनी जरूरी है। इस बारे में पीएम ने अलग से कोई आश्वासन नहीं दिया है। बीजेपी के साथ करीब पूरी विपक्ष एनसीटीसी के खिलाफ लामबंद हो गया लेकिन वोटिंग में प्रस्ताव के पक्ष में 82 जबकि खिलाफ में 105 वोट पड़े। ममता बनर्जी की पार्टी ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया, जिससे सरकार सदन में एक बड़ा इम्तिहान पास हो गई। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर मंगलवार को राज्यसभा में जवाब देते हुए मनमोहन सिंह ने एनसीटीसी पर सहमति बनने की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा कि सरकार देश के संघीय ढांचे के मुताबिक ही कोई फैसला करेगी। पीएम ने भरोसा दिया कि एनसीटीसी पर अगला कदम सीएम के साथ बैठकों के बाद ही उठाया जाएगा। एनसीटीसी पर सहयोगी के अलावा कई राज्यों ने भी केंद्र से नाराजगी जाहिर की है। केंद्र सरकार की अहम सहयोगी डीएमके ने नए रेल मंत्री के शपथ ग्रहण समारोह का आज बहिष्कार किया। केंद्र में डीएमके कोटे से चारों मंत्री और एम कनिमोझी सहित पार्टी के पांचों सांसद दिल्ली में ही मौजूद हैं लेकिन राष्ट्रपति भवन में आज हुए समारोह में ये जानबूझकर शामिल नहीं हुए। बात-बात पर केंद्र को झुकने के लिए मजबूर करने वाले डीएमके की ओर से सरकार के लिए तगड़ा संकेत है कि उनके बिना यूपीए-2 की कल्पना नहीं की जा सकती।
सहयोगियों के सामने पस्त सरकार
सहयोगी दलों के नखरे से परेशान केंद्र सरकार को बजट सत्र के दौरान हर दिन ‘फ्लोर मैनेजमेंट’ को लेकर माथापच्ची करनी पड़ रही है। लोकसभा में राष्ट्रपति का अभिभाषण प्रस्ताव किसी तरह पारित हो गया। लेकिन केंद्र सरकार अपने दो अहम सहयोगियों तृणमूल और डीएमके के सामने पस्त नजर आई। केंद्र सरकार ने तृणमूल के दबाव में दिनेश त्रिवेदी से कुर्सी छीनकर मुकुल रॉय को नया रेल मंत्री बनाया। वहीं डीएमके की बात मानते हुए तमिलों पर हुए हमलों के मामले में संयुक्त राष्ट्र में श्रीलंका का विरोध करने का फैसला किया गया। इसके बाद डीएमके नेता करुणानिधि ने प्रस्तावित भूख हड़ताल वापस ले ली।पीएम मनमोहन सिंह को संसद में साफ करना पड़ा कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में श्रीलंका के खिलाफ आने वाले प्रस्ताव का भारत समर्थन करेगा। डीएमके अमेरिका द्वारा लाए जाने वाले इस प्रस्ताव का समर्थन करने के लिए केंद्र पर दबाव बना रही थी। इस मसले पर करुणा ने गुरुवार को भूख हड़ताल करने का एलान किया था।
सहयोगियों के सामने पस्त सरकार
सहयोगी दलों के नखरे से परेशान केंद्र सरकार को बजट सत्र के दौरान हर दिन ‘फ्लोर मैनेजमेंट’ को लेकर माथापच्ची करनी पड़ रही है। लोकसभा में राष्ट्रपति का अभिभाषण प्रस्ताव किसी तरह पारित हो गया। लेकिन केंद्र सरकार अपने दो अहम सहयोगियों तृणमूल और डीएमके के सामने पस्त नजर आई। केंद्र सरकार ने तृणमूल के दबाव में दिनेश त्रिवेदी से कुर्सी छीनकर मुकुल रॉय को नया रेल मंत्री बनाया। वहीं डीएमके की बात मानते हुए तमिलों पर हुए हमलों के मामले में संयुक्त राष्ट्र में श्रीलंका का विरोध करने का फैसला किया गया। इसके बाद डीएमके नेता करुणानिधि ने प्रस्तावित भूख हड़ताल वापस ले ली।पीएम मनमोहन सिंह को संसद में साफ करना पड़ा कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में श्रीलंका के खिलाफ आने वाले प्रस्ताव का भारत समर्थन करेगा। डीएमके अमेरिका द्वारा लाए जाने वाले इस प्रस्ताव का समर्थन करने के लिए केंद्र पर दबाव बना रही थी। इस मसले पर करुणा ने गुरुवार को भूख हड़ताल करने का एलान किया था।

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