वाह कैलाश खेर उस्ताद वाह
मशहूर गायक कैलाश खेर ने अपने पुरकशिश अंदाज में गायकी के ऐसे रंग बिखेरे कि संगीतप्रेमियों के लिए मंगलवार की शाम यादगार बन गई। उन्होंने फिल्मी और गैरफिल्मी गीतों, भजनों और सूफियाना कलाम से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस दौरान खेर ने जब ‘तेरे बिन नहीं लगदा दिल ढोलणा.’, ‘मैं तो तेरे प्यार में दीवाना हो गया.’, ‘पिया के रंग में रंग दीनी ओढ़नी.’, ‘साजन प्रीत लगाय के..’ और ‘देश मत जाय.’ गीत सुनाए तो पूरा माहौल सूफियाना हो गया।मेहरानगढ़ दुर्ग स्थित परेड ग्राउंड में आयोजित वल्र्ड सूफी फेस्टिवल के समापन अवसर पर उन्होंने ‘कैसे बताएं, किसको बताएं..’, ‘यारा तू जाने ना..’, ‘जोगी मेरा रंग रंगीला..’ और ‘तेरे नाम से जी लूं..’ जैसे एक से बढ़ कर एक सुरीले गीतों की प्रस्तुति दी। सूफी फेस्टिवल के अंतिम दिन जहां अंतरराष्ट्रीय कलाकारों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया वहीं शाम को कैलाश खेर के कार्यक्रम में जैसे पूरा जोधपुर उमड़ पड़ा। खेर ने मीरा के प्रेम को सूफियाना प्रेम बताते हुए मीरा व कबीर के भजन सुनाए।
वहीं राजस्थानी गीत गाते हुए स्टेज पर युवतियां को भी डांस करने के लिए बुला लिया। इससे पहले मेहरानगढ़ दुर्ग स्थित फूल महल में देसी विदेशी सैलानियों के बीच में चीन से आए कलाकार वांग ली ने प्रस्तुति दी। लंगा-मांगणियार के मुंह से बजाए जाने वाले वाद्ययंत्र मोरचंग की तर्ज पर वांग ने करीब आधा दर्जन ऐसे मुख वाद्यों का वादन किया जिनसे सितार, संतूर, गिटार, वीणा, अलगोजा और हारपून जैसे वाद्यों की तरंगें बजने लगीं।अलगोजा व नड से हुआ आगाज:- इससे पूर्व सुबह 9.30 बजे मेहरदीन लंगा व शेरखान ने दुर्ग की प्राचीर पर अलगोजा व नड के वादन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की। बाद में 11 बजे शहीद भूरेखां की मजार के सामने कव्वाल इरफान तुफैल ब्रदर्स ने नातिया कव्वाली से मजार पर हाजिरी लगाई। लंगा-मांगणियार बाल कलाकारों ने जनानी ड्योढ़ी में आयोजित म्यूजिकल वर्कशॉप में प्रतिभा का प्रदर्शन किया। इजिप्शियन तनोरा सूफी डांसर्स ने दौलतखाना चौक में अलख जगाई तो नागणोची माताजी मंदिर में कोमोरोस द्वीप की महिला कलाकारों ने देबा रिचुअल्स के माध्यम से ईश्वर की उपासना की।

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