यूपीए सरकार में 'गृहयुद्ध'
बादू (पश्चिम बंगाल)।। आतंकवाद के खिलाफ यूपीए सरकार की नई मुहिम राष्ट्रीय आतंकवाद रोधी केंद्र (एनसीटीसी) को लेकर उसका राज्य सरकारों से टकराव बढ़ता ही जा रहा है। एनसीटीसी मामले पर ममता की नाराजगी शनिवार को और मुखर हो गई जब उन्होंने गृह मंत्री पी. चिदंबरम के साथ एक मंच पर आने से इनकार कर दिया। इसके जवाब में केंद्र सरकार की ओर से सख्त रुख का संकेत देते हुए चिदंबरम ने कह दिया कि आंतरिक सुरक्षा केंद्र और राज्य की साझा जिम्मेदारी है। चिदंबरम एनएसजी के नए हब का उद्घाटन करने 24 परगना के बादू पहुंचे, लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अंतिम समय में इस कार्यक्रम से अपना नाम हटवा दिया। पहले उन्हें भी यहां चिदंबरम के साथ मंच पर बैठना था। ममता ने अपने बदले समारोह में तृणमूल कांग्रेस के महासचिव और जहाजरानी राज्य मंत्री मुकुल रॉय को भेज दिया।दूसरी तरफ, एनएसजी हब के उद्घाटन के दौरान चिदंबरम ने कहा, 'देश की सुरक्षा में केंद्र और राज्य सरकारों की साझा जिम्मेदारी है। भारतीय संविधान कानून व्यवस्था का काम राज्य सरकार को सौंपता है और बाहरी हमलों या आंतरिक अड़चनों से देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्र को देता है।' चिदंबरम ने कहा कि संविधान के निर्माताओं ने अनुच्छेद 355 बहुत सोच समझकर बनाया। उन्होंने कहा,'तभी उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा, आंतरिक सुरक्षा को साझा जिम्मेदारी बनाया।' गृहमंत्री ने समारोह में कहा, 'आतंकवाद, किसी तरह के उग्रवाद या विदोह के मुकाबले के लिए मेरे ऊपर राज्यों के साथ मिलकर काम करने की जिम्मेदारी है।' गौरतलब है कि आतंकवाद निरोधक संगठन बनाने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव का गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों के साथ ही कांग्रेस के सहयोगी तृणमूल ने कड़ा विरोध किया है। विरोध करने वाले गुजरात, पंजाब, मध्यप्र देश, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, तमिलनाडु, बिहार और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री शामिल हैं। इनका कहना है कि यह देश के संघीय ढांचे पर प्रहार है और राज्य की शक्तियां हड़पने की कोशिश है। केंद्र सरकार ने सभी आलोचनाओं को खारिज कर दिया है।

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