जल्द बढ़ सकते हैं रसोई गैस के दाम
नई दिल्ली। महंगाई की मार झेल रहे आम आदमी को आने वाले दिनों में और दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष सी रंगराजन के बयान से रसोई गैस और डीजल के दाम में बढ़ोतरी के संकेत मिले हैं। रंगराजन ने डीजल को प्रशासनिक नियंत्रण से मुक्त करने की बात कही है। साथ ही रसोई गैस पर दी जाने वाली सब्सिडी को तर्कसंगत बनाने की बात कही है। उल्लेखनीय है कि सरकार पेट्रोल की कीमत को अंतरराष्ट्रीय बाजार के अनुरूप बनाने के लिए उसे प्रशासनिक नियंत्रण से मुक्त कर चुकी है लेकिन डीजल,रसोई गैस और केरोसीन अभी भी सरकारी नियंत्रण में है।
राजनीतिक दबाव के चलते नहीं हुआ फैसला
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में हो रही वृद्धि से देश की प्रमुख सरकारी तेल विपणन कंपनियों को चालू वित्त वर्ष में 1.30 लाख करोड़ रूपए के घाटे का अनुमान लगाया जा रहा है। बढ़ते घाटे की भरपाई के लिए डीजल को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने और रसोई गैस सिलेंडर में कोटा प्रणाली अपनाने का सुझाव दिया गया था। हालांकि राजनीतिक दबावों की वजह से सरकार इस सुझाव पर अब तक अमल नहीं कर पाई है।
रंगराजन ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में आए उबाल से तेल विपणन कंपनियों के बढते घाटे पर चिंता जताते हुए कहा कि डीजल की कीमत को चरणबद्ध तरीके से प्रशासनिक नियंत्रण से मुक्त किया जा सकता है। रंगराजन ने परिषद की वित्त वर्ष 2011-12 की आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट जारी करने के दौरान यहां पत्रकारों से चर्चा में कहा कि विभिन्न प्रकार की सब्सिडियों के बढ़ने से राजकोषीय घाटा बढ रहा है और इसको नियंत्रित करने के लिए सब्सिडी को तर्कसंगत बनाना होगा।
रसोई गैस के लिए कोटा प्रणाली अपनाने पर बल देते हुए रंगराजन ने कहा कि सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडरों की संख्या निर्धारित की जानी चाहिए और उससे अधिक के लिए बाजार मूल्य पर भुगतान करने की व्यवस्था होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे मुद्रास्फ्तीति में बढोतरी होगी लेकिन उसे आगे चलकर नियंत्रित किया जा सकता है। सब्सिडी में बढ़ोतरी से सरकार की विभिन्न सामाजिक परियोजनाओं के लिए धनराशि की उपलब्धता घट रही है। इसलिए पेट्रोलियम उत्पादों और उर्वरक सहित सभी प्रकार की सब्सिडियों को तर्कसंगत बनाने की आवश्यकता है।
डीजल के नियंत्रण मुक्त किए जाने पर किसानों पर विपरीत प्रभाव पड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि उत्पादकता बढाने के उपाय किए जाने चाहिए और कृषि क्षेत्र में निवेश पर जोर दिया जाना चाहिए। कृषि उत्पादों की कीमते बढ़ाने से मुद्रास्फ्तीति बढ़ती है,इसलिए कीमतें बढाने से बेहतर है कि उत्पादकता बढाने पर जोर दिया जाए ताकि कृषि क्षेत्र का विकास हो सके।

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