जयपुर। पदोन्नति में आरक्षण मामले को लेकर दायर अवमानना याचिकाओं पर राजस्थान हाइकोर्ट ने गुरूवार को अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने मुख्य सचिव एस अहमद और प्रमुख कार्मिक सचिव (डीओपी)खेमराज को अवमानना का दोषी माना है।न्यायाधीश नरेन्द्र कुमार जैन (प्रथम) व न्यायाधीश आर एस राठौड़ की खण्डपीठ ने समता आंदोलन समिति व अन्य की याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया। पीठ ने राज्य सरकार को पांच फरवरी 2010 के आदेश की पालना के लिए तीन दिन की मोहलत देते हुए दोनों अधिकारियों को अवमानना की सजा पर सुनवाई के लिए 27 फरवरी दोपहर दो बजे अदालत में पेश होने को कहा है। पीठ ने यह भी कहा कि 11 सितंबर 2011 को पदोन्नति में एससी और एसटी को 28 फीसदी आरक्षण देते हुए अब तक की पदोन्नतियों को यथावत रखने संबंधी अधिसूचना जारी की थी, वह हाईकोर्ट के आदेश की पालना नहीं है। हाइकोर्ट ने पिछले दिनों अवमानना याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अदालत ने राज्य सरकार को एम नागराजन फैसले के अनुसार, एक साल में आरक्षण संबंधी सर्वे करवा कर सरकारी नौकरियों में आरक्षितों के अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के आंकड़े पेश करने को कहा था। अदालत ने पदोन्नति में आरक्षण संबंधित अधिसूचनाओं को गलत ठहराया था। इस मामले में राज्य सरकार की याचिका सुप्रीम कोर्ट तक खारिज हो चुकी है।
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» मुख्य सचिव व् प्रमुख कार्मिक सचिव अवमानना के दोषी
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