धोराजी (गुजरात)। महान योद्धा और फ्रांस के सम्राट (1804) नेपोलियन बोनापार्ट का एक प्रसिद्ध कथन तो आपको याद ही होगा..‘असंभव’ शब्द इंसानों के लिए बना ही नहीं। इसी कथन को यथार्थ में बदलता हुआ यह वाकया है गुजरात का।
अहमदाबाद में रहने वाला यह लड़का जन्म से ही विकलांग है। इन दिनों यह धोराजी में अपने मामा के यहां आया हुआ है। इसी बीच हमारे एक संवाददाता की नजर इस पर पड़ गई और यह जानकारी सामने आई कि वह एक कुशल कंप्यूटर डिजायनर है।
परेशभाई पट्टणी नामक यह किशोर जन्म से ही दोनों हाथ-पैरों से विकलांग है। लेकिन फिर भी उसने लाचारी को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। परेशाभाई ने 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की और इसके साथ कंप्यूटर कोर्स भी किया। परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण परेश 12वीं कक्षा के बाद से ही एक कंप्यूटर शॉप पर नौकरी करने लगा। परेश ने डिजायनर का कोर्स किया और मेहनत व लगन से आज वह इतनी सुंदर और फास्ट डिजायनिंग करने में माहिर हो चुका है कि लोग उसे देखते ही रह जाते हैं।
हमारी चिंता दूर हुई : माता-पिता
परेश के मामाजी बताते हैं कि परेश के माता-पिता परेश के जन्म से ही इस बात को लेकर दुखी रहते थे कि उसके जीवन का क्या होगा। लेकिन परेश आज अन्य युवकों की तरह ही सक्षम है। उसे प्रतिमाह 5 हजार रुपए की तनख्वाह मिलती है, जिससे घर का गुजारा चलाने में परिवार की काफी मदद हो जाती है। आज परेश के माता-पिता भी यही कहते हैं कि उन्हें बेटे को लेकर कोई चिंता नहीं।
अहमदाबाद में रहने वाला यह लड़का जन्म से ही विकलांग है। इन दिनों यह धोराजी में अपने मामा के यहां आया हुआ है। इसी बीच हमारे एक संवाददाता की नजर इस पर पड़ गई और यह जानकारी सामने आई कि वह एक कुशल कंप्यूटर डिजायनर है।
परेशभाई पट्टणी नामक यह किशोर जन्म से ही दोनों हाथ-पैरों से विकलांग है। लेकिन फिर भी उसने लाचारी को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। परेशाभाई ने 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की और इसके साथ कंप्यूटर कोर्स भी किया। परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण परेश 12वीं कक्षा के बाद से ही एक कंप्यूटर शॉप पर नौकरी करने लगा। परेश ने डिजायनर का कोर्स किया और मेहनत व लगन से आज वह इतनी सुंदर और फास्ट डिजायनिंग करने में माहिर हो चुका है कि लोग उसे देखते ही रह जाते हैं।
हमारी चिंता दूर हुई : माता-पिता
परेश के मामाजी बताते हैं कि परेश के माता-पिता परेश के जन्म से ही इस बात को लेकर दुखी रहते थे कि उसके जीवन का क्या होगा। लेकिन परेश आज अन्य युवकों की तरह ही सक्षम है। उसे प्रतिमाह 5 हजार रुपए की तनख्वाह मिलती है, जिससे घर का गुजारा चलाने में परिवार की काफी मदद हो जाती है। आज परेश के माता-पिता भी यही कहते हैं कि उन्हें बेटे को लेकर कोई चिंता नहीं।
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