शोभायात्रा निकाल भागवत कथा का किया शुभारंभ 
बाड़मेर 
आज बाबा रामदेव मन्दिर और श्री शिव मंदिर चामुंडा चौराह विष्णु कॉलोनी में भागवत कथा का शुभारंभ हुआ प्रातः 10 बजे 51 माताएंऔर बहिंने ने सिर पर कलश धारण कर शोभा यात्रा में भाग लिया शोभा यात्रा मंदिर से प्रारम्भ होकर चामुंडा मन्दिर विष्णु कॉलोनी गांधी नगर शास्त्री नगर जाट कॉलोनी सहित शहर के विभिनन मार्गो से होते हुए पुनः मन्दिर पहुंची ढोल नगाड़ों और डीजे पर भक्त झूमते हुए चल रहे थे महिलाएं भक्ति के गीतों पर धीरकाने से अपने आप को नहीं रोक सकी आसमान जय श्री कृष्ण और राधे राधे से गूंज उठा।कथा वाचक बांके बिहारी ने कथा वाचन शुरू किया बड़ी संख्या में महिलाएं पुरुष शहर के गण मान्य लोग उपस्थित थे कथा के मुख्य यजमान श्याम लाल जी माली ने आज की कथा की आरती का लाभ उठाया इस अवसर पर प्रेमाराम भादू मेगाराम सहारण मोटाराम सियोल श्रवण कुमार गौरा जोगपुरी पुजारी प्यारे लाल गौड़ किशन सउ मनसुख जी पड़िहार प्रकाश माली हरफूल परिहार विनय प्रताप सिंह दमाराम माली पूर्व पार्षद दीपक परमार बलवीर माली पार्षद अशोक विश्नोई धनाराम विश्नोई मानक राज सुथार किशन लाल विशनोई बाबूलाल जी वकील साहब सहित सैकड़ों भक्त जन उपस्थित थे
मदभागवत कथा मनुष्य के जीवन में सुखों का संचय करने वाली 
पूरे मनोयोग के साथ कथा श्रवण मात्र से मनुष्य के जीवन में चमत्कारिक परिवर्तन हो सकते हैं। श्रीमद भागवत में तमाम एेसी कथाएं हैं जो हमें प्रेरणा देती है और कलयुग में जीवन को कलात्मक ढंग से जीने का मार्ग प्रशस्त करती है। मानव जन्म पाकर मनुष्य अमृत पी ले और उसके व्यवहार में कोई बदलाव नहीं हो तो उस अमृत पीने का कोई लाभ नहीं। राहु ने भी अमृत पिया और अमर हो गए लेकिन उसके व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं होने के कारण उसे कोई लाभ नहीं मिला। वहीं धुंधकारी जैसे पापी भी कथामृत श्रवण करने मात्र से मोक्ष को प्राप्त किए। भागवत कथा अमृत सामान है तभी मोक्ष प्राप्ति के लिए राजा परीक्षित अपने जीवन के अंतिम सात दिन कथामृत श्रवण कर बिताया और पुण्य के भागी बने और उन्हें भी मोक्ष मिला। उक्त उद्गारश्री लाल बाग धाम में चल रहे श्रीमदभागवत महापुराण में व्यास पीठ पर कथावाचक पंडित विजय शास्त्री जी महाराज (अयोध्या वाले) ने व्यक्त किए। अमृत पीने मात्र से कुछ नहीं होता बल्कि अमृतपान से अमरत्व होने के बाद भी हमारे जीवन की सार्थकता जीवमात्र के लिए क्या है, यह महत्वपूर्ण है।
भागवत सप्ताह के प्रत्येक दिन की कथा सुनना जीवनोपयोगी है। उन्होंने कहा कि कलयुग में भगवत प्राप्ति के लिए अत्यंत सरल मार्ग निर्धारित किए गए हैं। भगवान के नाम मात्र का जाप करने से कलयुग में मुक्त पाने का विधान है।
कलश यात्रा में सबसे आगे भागवत जी को सर पर उठाये आदरणीय श्री माधव ठाकुर जी, गुरु परिवार के सभी सदस्य, गद्दी सेवक और समाज के बंधू चल रहे थे उनके पीछे बालिकाए व महिलाए सर पर कलश लिए चल रही थी | कथा प्रारंभ होने के पूर्व एक भव्य शोभायात्रा आजाद पुर स्थित श्री लाल बाग धाम के ही विभिन्न मार्गो से निकाली गयी जिसमें पारंपरिक वाध यंत्रों की धुन पर जहां भजनों का गायन करते भक्त थे तो वही सिर पर कलशों को रखे बडी संख्या में नारी शक्ति मंगलगान करती हुइ। जबकि भगवान के गगन भेदी जयकारों से गलियों को गुंजायमान करते युवा भी चल रहे थे।भागवत कथा में कड़ाके की सर्दी के बावजूद श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा।
भागवत कथा के अवसर पर शहर के अनेक धर्म प्रेमी सहित कई श्रद्धालु कथा श्रवण के लिए उपस्थित हुए। कथा के प्रथम दिन पुरोहित के सान्निध्य में वैदिक मंत्रो'चार के साथ गणेश वंदना व भागवत पुराण पूजन के पश्चात सभी संतों का पूजन कर उनका स्वागत किया गया ।गणपति पूजन के साथ भागवत कथा का आरंभ आचार्य पंडित विजय शास्त्री महाराज (अयोध्या वाले) के मुखारविन्द से किया गया जिसमे सर्वप्रथम भगवत महाम्य , फिर परीक्षित श्राप व शुकदेव जन्म का वर्णन किया गया |
भक्ति से ज्ञान, वैराग्य पैदा होता है, संसार में पुण्य कार्य करना चाहिए, पुरुषार्थ प्राप्त करने के लिए भगवान की आराधना करना चाहिए, जिससे भक्ति में वृद्धि होती है।शुकदेव महाराज ने राजा परीक्षित से कहा कि भागवत अज्ञान से ज्ञान और सत्य की ओर ले जाने वाली है। संसार के प्राणी अनेक चीजों से पीडि़त है उसका एक ही समाधान है कथा का श्रवण करना, हरि नाम सिमरन करना, इससे संसार की चिंताएं दूर होती है, सभी समस्याओं का समाधान हो जाता है। कथा व्यास ने कहा कि भगवान की शरण में आने से मनुष्य का जीवन सार्थक हो जाता है, सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, व्याधियों और ङ्क्षचताओं का एक ही समाधान है श्रीमद्भागवत कथा सुनना। दैविक, भौतिक, तापों से जो पीडि़त है उनके कष्ट दूर हो जाते हैं. बांके बिहारी जी महाराज ( वंदा वन वाले) ने कहा की भक्ति रूपी तत्व के जीवन में आने पर व्यक्ति का आत्मबल बढऩे लगता है तथा प्रभु की कृपा होती है।इसलिए भक्ति करनी चाहिए।
उन्होंने संतों की महिमा बताते हुए कहा कि सच्चे संत के दर्शन मात्र से ही मनुष्य के जन्म जन्मातरों के पाप नष्ट हो जाते हैं। आह्वान करते हुए उन्होंने ने कहा कि मनुष्य को निंदा चुगली से बचना चाहिए ताकि बुर व्यसनों में फंसकर जीवन व्यर्थ न जाए।

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