सरहदी बाड़मेर में दिखा शौर्य का केसरिया, निकली पथ प्रेरणा यात्रा
बाड़मेर।
राजस्थान के बाड़मेर ज़िला मुख्यालय पर मंगलवार को शहर में शौर्य का केसरिया दिखा। श्वेत वस्त्र, केसरिया साफा और हाथों में वीरता का प्रतीक शमशीर लिए हजारों लोग, मौका था गौरवमयी पथ प्रेरणा यात्रा का।
विजयदशमी के पावन पर्व पर हर वर्ष राजपूत समाज द्वारा निकाली जाने वाली गौरवमयी "पथ प्रेरणा यात्रा" बड़े ही शान से निकली। पूरा बाड़मेर एकबारगी केसरियामय हो गया। केसरिया साफ़े,केसरिया ध्वज और हाथों में तलवारें लिए राजपूत समाज के लोग एक सेना की तरह पूरी तरह अनुशासित और मर्यादित तरीक़े से शहर के मुख्य मार्गों से होकर गुज़रे। क्या बच्चे क्या जवान सभी में एक समान जोश था। महेंद्र सिंह तारतरा ने बताया कि आगे आगे केसरिया पताका लिए युवा चल रहे थे,उनके पीछे ढोल नगाड़े, फिर पाँच घोड़ों पर ध्वज लिए हुए पाँच घुड़सवार और उसके बाद ४-४ की पंक्ति में पूरा विशाल लवाज़मा। यात्रा में शामिल हुए लोगों को ५० टुकड़ियों में बाँट दिया गया था,हर टुकड़ी में ४० लोग थे जिसका नेतृत्व दो ध्वज वाहक और एक तलवार धारी कर रहे थे। स्वरूप सिंह आगोर ने बताया कि सेना की तरह बिलकुल चाक चौबंद व्यवस्था थी। कोई नारा नहीं कोई शोरगुल नहीं,बस ढोल नगाड़ों की आवाज़ और केसरियामय वातावरण में चलते राजपूत समाज के लोग। शेर सिंह भुरटिया ने बताया कि ४ कि मी की इस यात्रा में सैकड़ों जगह शहर के बाशिंदों ने पुष्प वर्षा कर अपनी ख़ुशी जाहीर की। छोटे से बड़े सभी व्यापारियों और प्रतिष्ठानो ने अपनी अपनी दुकानो के आगे टोकरियाँ भर भर के फूल बरसाए। तनवीर सिंह फ़ोगेरा ने बताया कि शहर के महिला और पुरुषों ने भी अपने अपने घरों की छतों से फूल बरसाए। शहर पूरे में एक उत्सव जैसा माहौल हो गया। हनुवंत सिंह कवास ने बताया कि सर्व प्रथम शुभ मुहूर्त में अखिल भारतीय राठौड़ वंश की कुलदेवी श्री नागनेचिया माताजी गढ़ मंदिर में शस्त्र पूजन हुआ। सैकड़ों की संख्या में तलवारों और बंदूक़ों का विधिवत रूप से पूजन हुआ। इसके उपरांत मंदिर से ही यात्रा प्रारम्भ हुई जो सब्ज़ी मंडी,गांधी चौक,स्टेशन रोड,अहिंसा सर्कल,विवेकानंद सर्कल,रॉय कॉलोनी,पाँच बत्ती चौराहा,तनसिंह सर्कल होते हुए गेंहू रोड स्थित श्री राणी रुपादे संस्थान जाकर समाप्त हुई। यहाँ सभा का आयोजन किया गया था,जिसके लिए विशाल पांडाल लगाया था पर बड़ी संख्या में लोगो के इसमें शामिल होने से पांडाल भी छोटा पड़ गया। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य वक़्ता प्रख्यात शिक्षाविद कमल सिंह महेचा ने की। इन्होंने स्वागत भाषण के रूप में विजयदशमी के पर्व की महत्ता पर प्रकाश डाला और युवाओं से आह्वान किया कि संक्रमण काल के इस युग में अपनी परम्पराओं को भूले नहीं,अपने इतिहास से जुड़े रहे और उसकी बुनियाद पर भविष्य की सफल बनाए। विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद सिवाना विधायक हमीर सिंह भायल ने कहा कि मैं अपना सौ सौभाग्य मानता हूँ कि इतनी सुंदर यात्रा में शामिल होने का अवसर मिला। मेरी हार्दिक इच्छा है कि हर वर्ष में इसमें शामिल होऊ। समाज को निस्सन्देह ऐसी ही एकता की ज़रूरत है जैसी आज हमने इस यात्रा के दौरान दिखाई। मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए श्री क्षत्रिय युवक संघ के संघ प्रमुख भगवान सिंह रोलसाहबसर ने कहा कि जिस तरह केसरिया साफ़ा में हम लोग बाहर से क्षत्रिय नज़र आ रहे है उसी तरह हमें अंदर से भी क्षत्रिय बनना होगा। ये यात्रा एक रूपक है कि हमारी महान परम्पराएँ ऐसी थी,पर मन और आत्मा से भी हम अपनी महान परम्पराओं और इतिहास से जुड़ेंगे और उन त्याग और कठीन परिश्रम के मार्गों से गुज़रेंगे सच्ची विजय तभी है ,सच्ची विजयदशमी तभी है। दशहरा के दिन प्रतीक रूप में रावण को जलाया जाता है, हम सब के मन में भी कही न कही रावण है हमें उस रावण को जलाना होगा। हमें ख़ुद ही हमारा राम होना होगा। श्री क्षत्रिय युवक संघ पिछले ५० वर्षों से समाज में संस्कार निर्माण का कार्य कर रहा है,एक क्षत्रिय का सुसंस्कृत होना अनिवार्य है। युवाओं से आह्वान करते हुए प्रमुख श्री ने कहा कि "उठो और जागो,इस देश की तुम्हारी ज़रूरत है,आलस्य का त्याग करके स्वयं जागो और दूसरो को भी जगाओ।" आपकी यात्रा बहुत सुंदर और अनुशासित होती है जिस से लोग भी बहुत हर्षित होते है,इसका अर्थ यही है कि अन्य समाज आपको इसी अनुशासित रूप में देखना चाहते हैं। अध्यक्षता कर रहे रावत त्रिभुवन सिंह ने कहा कि आज का युग शिक्षा का है और हमें शिक्षा पर पूरा ध्यान केंद्रित करना चाहिए,साथ ही परम्पराओं से भी जुड़ाव ज़रूरी है। इसके बाद सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन महेन्द्र सिंह तारातरा में किया। सभा के बाद सामूहिक भोज का आयोजन किया गया था। यात्रा में सवाई सिंह देवड़ा,स्वरूप सिंह चाडी,कृष्ण सिंह राणीगाँव,भभूत सिंह आगोर,सांग सिंह लुनू,गोवर्धन सिंह लुनू,उगम सिंह राणीगाँव,अगर सिंह जैसीनधर,महिपाल सिंह चूली,लाल सिंह रामदेरिया,नेपाल सिंह तिबनियार,नरेशपाल सिंह तेज़मालता,बालम सिंह आगोर,स्वरूप सिंह भाडली,भोम सिंह बलाई,अशोक सिंह भीख़्सर,कोज़राज सिंह सिवाना,निरंजन सिंह भदरु,जसवंत सिंह आगोर,हठे सिंह रामदेरिया,राजेंद्र सिंह भियाड़२,विजय सिंह तारातरा,हिंदू सिंह तामलोर,विक्रम सिंह सोढा,पार्षद सुल्तान सिंह,महिपाल सिंह जालिपा,विक्रम सिंह शिवकर,प्रवीण सिंह मीठड़ी,वी पी सिंह,नरेंद्र सिंह खारा,महेंद्र सिंह हडवा,रावल सिंह जाजवा,प्रेम सिंह महाबार,नारायण सिंह महाबार,भाखर सिंह महाबार,जालम सिंह जालिपा,वाघ सिंह आगोर,मदन सिंह आगोर,बाबू सिंह उंड़खा,रतन सिंह उदय नगर,उदय सिंह सोढा,कमल सिंह खारिया,छगन सिंह लुनू,बाबू सिंह सरली,ज़बर सिंह तारातरा,रतन सिंह भाटी,देवेंद्र सिंह भाटी,गिरधर सिंह सोढा आदि उपस्थित रहे।

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