मरुधरा के महात्मा ईसरदास बारहट का जन्मोत्सव मनाया

बाड़मेर
बाड़मेर मरुधरा के महान संत और डींगल भाषा के महान कवि महात्मा ईसरदास का 558 वा जन्मोत्सव उनकी जन्मस्थली भादरेस में गुरूवार को परम पूज्य आई मनु माॅ नागलनेस, चिरोड़ा जूनागढ़ एवं मंहत प्रतापपुरी के सानिध्य में मनाया गया। महात्मा ईसरदास के हजारो भक्त राजस्थान और गुजरात से समारोह में पंहुचे। समारोह में कार्यक्रम की अध्यक्षता राजवेस्ट प्रतिनिधि जगन्नाथ प्रसाद, मुख्यअतिथि पृथ्वीराज रतनू, विषिष्ट प्रोफेसर डाॅ. गजादान चारण, गिरधारीदान रतनु, पूर्व प्रोफेसर आईदानसिह भाटी, उपखण्ड अधिकारी बायतू अजय अमरावत, बाडमेर डिप्टी ओमप्रकाष उज्जवल, बीसीसीबी एमडी भंवरदान चारण, समाजसेवी जोगेन्द्रसिह चैहान, मुरारदान बारहठ, शांतिलाल खत्री, अनवर भाई मीर के आतिथ्य में सम्पन्न हुआ। 

गुरूवार की रोज सुबह शक्ति स्वरूपा आई मनु माॅ ने महात्मा ईसरदास की मूर्ति पर दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की विधिवत शुरूआत की। शुरूआत में महत्न प्रतापुपरी ने कहा कि ईसरों सो परमेसरा है। संत षिरोमणी व परमहंस थे। आस्था श्रद्धा व भक्ति से भगवान की प्राप्ति संभव है। प्रोफेसर डाॅ. गजादान चारण ने ईसरदास संपूर्ण समाज को षिक्षा देते थे। पूर्व प्रोफेसर डाॅ. आईदानसिह भाटी ने ईसदास जनवादी कवि थे। ईसरदास जी को पाठ्य पुस्तकों में शामिल किया जाय। बाड़मेर डिप्टी ओमप्रकाष उज्जवल ने अपने सम्बोधन में कहा कि महात्मा ईसरदास का अधिकतम समय समाज की सेवा में व्यतीत हुआ है। जगन्नाथ प्रसाद ने कहा कि अनन्त भक्ति, श्रद्धा प्रेम का स्थान है यहां से आात्मबोध प्राप्त होता है। गिरधारीदान ने कहा ग्रन्थ पर विस्तृत प्रकाष डालते हुए इसे समय सापेक्ष बताया कि हरिरस का मंथन करना भी वर्तमान समय की मांग है।

पूर्व सचिव पृथ्वीराज रतनू ने महात्मा ईसरदास ने राजस्थान से गुजरात जाकर परचे। ईसरदास का व्यक्तित्व व कृतित्व पाठ्यक्रम में शामिल करने हेतु प्रयास करना होगा। दिलीप नारवाणी ने ईसरदास के जीवन चरित्र को खुद के जीवन में उतारे तथा दिन की शुरूआत ईसदास के नाम स्मरण से करें। अनवर भाई मीर ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि इस्लाम के अनुयायी होने के बावजूद मेरे लिए कुरान व हरिरस एक समान महत्व है। वो कुरान व हरिरस का साथ-साथ पढते है। कार्यक्रम में मुरारदान बारहठ, अजय अमरावत, एसडीएम बाड़मेर, शांतिलाल खत्री, जोगेन्द्रसिंह चैहान, कालूभाई ईसराणी ने अपने विचार प्रकट किये। 

कार्यक्रम में समाजसेवी जोगेन्द्रसिंह चैहान ने ईसरदास जयंती पर एक लाख रूपये की घोषणा की। वही राजवेस्ट पांवर द्वारा विश्रामगृह निर्माण की घोषणा की गई। 

भादरेस में महात्मा ईसरदास की 558 वी जयंती 3 अगस्त को बुधवार को शाम को रात्रि जागरण भक्ति संध्या का आयोजन किया गया जिसमें गुजरात के प्रसिद्ध कलाकार भरतदान गढवी, सागरदान ईसराणी, राजु भाई ईसराणी, जीतूदाद गढवी तथा नारायणदान के साथ यहां के स्थानीय कल ाकार उगमदान सांगड़ ने अपनी प्रस्तुतिया दी। देर रात भजन सध्या में कार्यक्रम चलता रहा और भादरेष पूर्ण ईसरदासमय हो गया।

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