मुख्यमंत्री से मिला तकनीकी कर्मचारियों का प्रतिनिधि मंडल
हड़ताली कर्मचारियों पर की जा रही अनुशासनात्मक कार्यवाही निरस्त करने की मांग, मुख्यमंत्री ने निजी सचिव को दिए आवश्यक कार्यवाही के निर्देश, एकीकृत महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष ने निभाई मध्यस्थता की भूमिका
बाड़मेर/जयपुर, 13 मई।
8 दिसंबर से 12 दिसंबर तक चली विद्युत विभाग के तकनीकी कर्मचारियों की हड़ताल को लेकर निगम प्रशासन द्वारा की गई कार्यवाही को निरस्त करने की मांग को लेकर राजस्थान विद्युत तकनीकी कर्मचारी एसोसिएशन का प्रतिनिधि मंडल मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने सीएम हाउस में मिला। जहां मुख्यमंत्री ने कर्मचारियों की मांगो पर जल्द कार्यवाही कर अनुशासनात्मक कार्यवाही को निरस्त करने का आश्वासन दिया। 
राजस्थान विद्युत तकनीकी कर्मचारी एसोसिएशन के प्रदेश प्रवक्ता रमेश पंवार ने बताया कि ग्रेड पे की मांग को लेकर एसोसिएशन के आव्हान पर प्रदेश भर में हजारों तकनीकी कर्मचारियों द्वारा 8 दिसंबर से 12 दिसंबर तक टूल डाउन हड़ताल की थी। इस संबंध में निगम प्रशासन द्वारा कर्मचारियों को निलंबित करने, जिले से बाहर स्थानान्तरित करने, कई कर्मचारियों को अब तक बहाल नहीं करने सहित उनके विरूद्ध की जा रही अनुशासनात्मक कार्यवाही को निरस्त करने की मांग को लेकर शुक्रवार को एसोसिएशन का प्रतिनिधि मंडल प्रदेशाध्यक्ष पृथ्वीराज गुर्जर के नेतृत्व में मुख्यमंत्री से मिला। इस दौरान वार्ता के लिए मध्यस्थता राजस्थान राज्य कर्मचारी महासंघ एकीकृत के प्रदेशाध्यक्ष महेन्द्रसिंह चौधरी ने की। प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री से अपनी मांगो को लेकर ज्ञापन सौपा जिस पर मुख्यमंत्री ने अपने निजी सचिव गायत्री राठौड़ को इस संबंध मंे आगामी एक-दो दिन में कार्यवाही स्थगित करने के संबंध में आदेश जारी करने हेतु निर्देशित किया। 
यह रही मुख्य मांगेः
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया को सौपे गए ज्ञापन में प्रदेशाध्यक्ष पृथ्वीराज गुर्जर ने हड़ताल में टर्मिनेट किए गए दो कर्मचारियों को बहाल करने, प्रसारण निगम के तीन कर्मचारी जिन्हे अब तक बहाल नहीं किया गया हैं, उन्हे बहाल करने, हड़ताल के कारण कर्मचारियों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने, कर्मचारियों को दी गई चार्जशीट के आधार पर प्रस्तावित अनुशासनात्मक कार्यवाही को निरस्त कराने, हड़ताल में शामिल सभी कर्मचारियों की सेवा नियमित मानने, हड़ताल के बाद तकनीकी कर्मचारियों के दूसरे जिलो में किए गए स्थानान्तरण को निरस्त कर पुनः पूर्ववत मूल स्थान पर लगाने की मांग की गई। 

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