विलुपित प्राचीन सरस्वती नदी पर हो अनुसंधान -सांसद चौधरी 
बाड़मेर 
बाड़मेर-जैसलमेर सांसद कर्नल सेानाराम चौधरी ने 16वीं लोकसभा के संसद बजट एवं सप्तम सत्र में शुक्रवार को पेयजल समस्या के समाधान एवं विलुपित सरस्वती नदी के अनुसंधान हेतु लोकहित के विषेष मुद्दें के तहत लोकसभा की कार्रवाई के नियम 377 के तहत ध्यान आकर्षित करते हुए बताया कि प्राचिन नदी सरस्वती जो वर्षो पहले लुप्त हो चुकी हो चुकी थी लेकिन पिछले कुछ सालों में इस नदी के जमीन के अन्दर ही अन्दर प्रवाहीत होने के सुराग विभिन्न इलाकों से मिले है। निजी प्रवक्ता अरूण पूरोहित ने बताया कि भूजल वैज्ञानिकों के अनुसार इस नदी का बहाव स्थल हरियाणा से षुरू होकर गंगानगर, हनुमानगढ होते हुए पाकिस्तान में गया हुआ है और सिंधुनदी के सहारे चलती है फिर पाक सीमा से लगे जैसलमेर जिले के किषनगढ क्षेत्र से यह नदी अन्दर ही अन्दर वापस भारत में प्रेवष करती है। इन्हीं इलाकों में जैसे किषनगढ, धरमी कुआं, रणऊ, एवं कुरिया गावों में इस प्रकार के कई सुराग मिले है। गौरतलब है कि गत कुछ महिनों से नाचना क्षेत्र के कई ट्युब्वैल आॅटो फ्लो हो रहे है। आष्चर्य है कि यहां पानी अपने आप ही जमीन से बहार निकल रहा है। अनुभवी एवं स्थानीय लोगों द्वारा कयास यही लगाये जा रहे है कि यह भूमिगत प्रवाहीत सरस्वती नदीं का ही पानी है। चुंकि इस नदी का उद्गम स्थल हरियाणा रहा है और हरियाण सरकार द्वारा इसकी खेाज संबंधीत विषय पर कार्य भी किया जा रहा है। केन्द्र सरकार के भूजल विभाग केा अपने अनुसंधान में एक दषक पहले सीमावर्ती इलाके में सरस्वती नदी के सुराग मिल चुके है। सरस्वती नदी अनुसंधान संस्थान का गठन किये जाने की मांग समय-समय पर होती रही है। निजी प्रवक्ता अरूण पूरोहित ने बताया कि स्थिति यह है कि 
अम्बाला से सदस्य द्वारा 12.8.2014 को सदन में इस मुद्दे को सरकार के ध्यान में भी लाया था। परन्तु इस येाजना पर कार्य बहुत की धीमा चल रहा है।03 अप्रैल 2014 को कुरूक्षेत्र में प्रधानमन्त्री द्वारा धोषणा भी की थी कि आदि बद्री से कच्छ तक इसकी रिवाइवल के लिए काम करूंगा।
राजस्थान-सरकार की मुख्यमन्त्री वसुन्धरा राजे ने इस संबंध में मन्त्री श्रीमति किरण माहेष्वरी के माध्यम से केन्द्रीय मन्त्री उमा भारती केा 16 फरवरी 2015 को डीपीआर प्रस्तुत करते हुए 2015-16 में 1704.36, 2016-17 में 2118.93, 2017-18 में 2257.84 एवं 2018-19 में 786.38 लाख की राषि आवंटन करने का अनुरोध पत्र भी भिजवाया है। ताकि इस दिषा में समय पर कार्य किया जा सके। 
मेरी मांग है कि इसी बजट सत्र मंे परियेाजना हेतु बजट का प्रावधान करे। यदि सरस्वती की खेाज पर रूचि लेकर कार्य को गति प्रदान की जाती है तो प्राचीन संस्कृति का संरक्षण होगा, वर्षो से तरस रहे सीमावर्ति क्षेत्र के लोगों केा पवित्र एवं मीठा पानी को पिने केा मिल जायेगा। साथ ही पर्यटन केा बढावा मिलेगा। जिससे देष केा विदेषी मुद्रा भी मिलेगी। आवष्यकता, एवं जनता की मांग को ध्यान में रखते हुए सरस्वती नदी अनुसंधान एवं इससे सम्बधित सभी येाजनाओं पर प्राथमिकता से ध्यान देकर कार्य किया जाता है तो ये परियेाजना एवं नदि मरूस्थल में भागीरथी की तरह कालान्तर से पियासे लोगों के लिए वरदान साबित होगी और मैं एवं मेरे क्षेत्र की जनता इस सरकार के आभारी एवं कृतज्ञ रहेगें।

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