बाड़मेर सेटेलाइट से चिन्हित होंगी समस्त ग्राम पंचायतो की परिसंपतियां
जीपीएस प्रणाली फिलहाल मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान के कार्यों में अपनाई जा रही है। हर कार्य की मैपिंग और मॉनिटरिंग इस तकनीक से की जा रही है।
बाड़मेर।
ग्राम पंचायत स्तर पर स्थित समस्त परिसंपत्तियों को अब सेटेलाइट से चिन्हित किया जाएगा। इसके लिए पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार के ई-पंचायत मिशनमोड़ प्रोजेक्ट अंतर्गत जियोग्राफिक इंफॉर्मेशन सिस्टम (जीआईएस) से गांवों में सृजित नई पुरानी संपत्तियों का डेटा तैयार होगा। जीआईएस एप्लीकेशन आधारित कार्य के लिए विभाग की ओर सेनोडल अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी किए दिए हैं।
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग की ओर से विगत 8 फरवरी को जारी परिपत्र के अनुसार सभी जिला परिषदों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को पंचायतों की परिसंपत्तियों कासैटेलाइट चित्रण कराने के निर्देश दिए गए है। विभाग के नोडल अधिकारी (ई-पंचायत) उपायुक्त (प्रशिक्षण) गिरीश पाराशर ने जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारियांे को भेजे पत्र में बताया है किपंचायती राज मंत्रालय,भारत सरकार के ई-पंचायत मिशन मोड़ प्रोजेक्ट अंतर्गत पंचायत एंटरप्राईजेज सुईट के तहत राज्य में 11 कोर एप्लीकेशंस पर ऑनलाईन कार्य संपादित किया जा रहा है। 11कोर एप्लीकेशंस में से एक एप्लीकेशन जीआईएस पर भी कार्य किया जा रहा है। इस संबंध में वीडियो कांफ्रेंसिंग में सभी जिलों के नोडल अधिकारियों को विस्तृत जानकारी दी जा चुकी है।
अधिकारिक सूत्रांे के मुताबिक राज्य में यह जीपीएस प्रणाली फिलहाल मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान के कार्यों में अपनाई जा रही है। हर कार्य की मैपिंग और मॉनिटरिंग इसतकनीक से की जा रही है। गुजरात में तो यह सिस्टम महात्मा गांधी नरेगा योजना में भी प्रभावी है। पंचायती राज मंत्रालय,भारत सरकार ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग की सभी योजनाओंके विभिन्न कार्यों को इस दायरे में शामिल करने की मंशा से इस एप को अनिवार्य रूप पूरे देश में लागू करने की तैयारी में है।
गांव अंकित होंगे भौगोलिक मानचित्र में: जीआईएस से ग्राम पंचायतों की परिसंपत्ति भौगोलिक मानचित्र में प्रदर्शित होंगी। अक्षांश देशांतर के माध्यम से खाली भूमि परिसंपति की मैपिंग से विभिन्नयोजनाओं के क्रियांवयन में पारदर्शिता रहेगी। एप्स के जरिये डेटा एमआईएस पर इंद्राज होने से आगामी कार्यों की जांच मॉनिटरिंग में खासा लाभ होगा।
अनियमितता पर लगेगा अंकुश: गांवों में कई बार सड़क, तालाब भवन निर्माण जैसे एक ही कार्य को अलग-अलग योजनाओं में प्रदर्शित कर स्वीकृति भुगतान उठा लेने के मामले प्रकाश में आते हैं,इससे पूरी तरह अंकुश लग जाएगा। इस मैपिंग में ड्रेनेज और जल निकायों, भूमि उपयोग और भूमि कवर,बस्तियों का इंफ्रास्ट्रक्चर, विरासती डेआ में भूजल संभावनाएं,भूमि क्षमता वर्गीकरण,मिट्टीगहराई,मृदा संरचना अन्य संपतियों का सेटेलाईट चित्रण हो सकेगा।

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