राजपथ पर शान से निकलेगी राजस्थान के ऐतिहासिक हवामहल की झाँकी
जयपुर।
नई दिल्ली के राजपथ पर 26 जनवरी गणतंत्र दिवस को निकलाने वाली भव्य गणतंत्र दिवस परेड में राजपथ पर राजस्थान से जयपुर के हवामहल की झांकी शान से निकलेगी। परेड़ में इस बार कुल 22 झांकियों में 17 राज्यों की झांकियों को शामिल किया गया है।
राजस्थान ललित कला अकादमी की सचिव शोमिला माथुर ने बताया कि बेजोड़ हवामहल की झांकी गणतंत्र दिवस राष्ट्रीय रंगशाला शिविर में अन्य राज्यों की झांकियों के साथ ़ तैयार खड़ी है। अकादमी के विनय शर्मा ने बताया कि इसकी डिजाइन एवं मॉडल जयपुर की वरिष्ठ कलाकार सुरी मीनाक्षी कासलवीर ने बनाया है।
झांकी के अग्रभाग में महाराजा सवाई प्रतापसिंह की डमी बनाई गई है, जबकि हवामहल की प्रतिकृति को पीछे की ओर झांकी को दोनों और दर्शाया जायेगा। झांकी में हवामहल की प्रतिकृत्ति राजपथ पर दोनों और बैठे हुए दर्शकों को अपने मूल रूप से देखने को मिलेगी। झांकी के मध्य में महिला कलाकारों द्वारा जयपुर के लोकगीत, 'पणिहारिनÓ पर नृत्य प्रस्तुति करते हुए दिखाया जायेगा। झांकी को अधिक जीवन्त बनाने के लिए हवामहल की आकृत्ति के नीचे दाई एवं बायी और जयपुर की प्रसिद्घ शिल्पकृतियों की दुकानों को भी प्रदर्शित किया जायेगा। साथ ही देशी-विदेशी पर्यटकों एवं खरीददारों की आवाजाही के साथ ही मांगणियार संगीतकार, कच्चीघोड़ी आदि को प्रदर्शित किया जायेगा।
राजस्थान का प्रतीक है- हवामहल
प्रस्तुत झाँकी हवामहल जो को ''पैलेस ऑफ विंड़ÓÓ के नाम से भी जाना जाता है। इस ऐतिहासिक कृत्ति को जयपुर के महाराजा सवाई प्रतापसिंह जी ने 1799 ई. में बनवाया था। कृष्ण भक्त होने के कारण ही महाराजा सवाई प्रतापसिंह ने इसे श्री कृष्ण के मुकुट की आकृत्ति में बनवाया। पांच मंजिला इस विशाल इमारत की ऊंचाई 50 फीट है। जिसमें 953 छोटी खिड़कियां हैं जिन्हें 'झरोखेÓ कहा जाता है। राजपूत और मुगल स्थापत्य कला के सुन्दर सम्मिश्रण से निर्मित इस अति उत्कृष्ट इमारत को निर्मित करने वाले वास्तुकार थे 'श्री लालचन्द्र उस्ताÓ। हवामहल को राजस्थान का प्रतीक माना जाता है और देशी-विदेशी पर्यटकों में अत्यन्त लोकप्रिय है।

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