बाड़मेर प्रभू भक्ति में सर्मपण का भाव जरूरी - महाराज  
बाड़मेर।
गोलेच्छा ग्राउण्ड में चल रही ग्यारह दिवसीय सतसंग के समापन समारोह में लक्ष्मणदास जी महाराज ने अपने ओजस्वी वाणी से कहा कि मनुष्य को धन का मद नहीं होना चाहिए। दूसरी बात किसी गरीब को नहीं सताना चाहिये। उसके गरीबी पर हंसना नहीं चाहिये। आज नरसी के माहेरा प्रसंग को सुनने आण्े श्रोताओं से पाण्डाल भी छोटा पड़ गया। महाराज ने कहा प्रभू भक्ति में समर्पण का भाव होना जरूरी है और भक्ति को तब सफल मानना चाहिये। जब भगवान आपके साथ खेलने लगें। तब भक्ति को पूर्ण मानना चाहिये। राम जी रो नाम माने मीठो घणो लागे रे पद पर गान में श्रोता झूम उठे। कथा के दौरान नेनू बाई रो मायरे की मधूर प्रस्तुती बाड़मेर भजन गायक सवाई माली व राजू माली द्वारा दी गई। 
कथा संयोजक दुर्गा शंकर व बाबूलाल माली ने साफा पहना कर महाराज का सत्कार किया। भजन गायक में कमल मुदड़ा के साथ बाड़मेर के कई कलाकारों ने भी षिरकत की। कथा सिमति ने श्रोताओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा महाराज की मधूर वाणी को सुनने का जो जुनुन यहां दिखा। वो अन्य देखने को नहीं मिलता है। अन्त में महाराज ने सभी से कहा अगर जीवन में सुखी रहना है और जीवन को सफल करना है तो अपनी चिन्ता व हर कार्य भगवान को सौंप दें व एक ही भाव रखे में तो हॅू भगवान का मेरे श्री भगवान। कथा के अंत में प्रसादी का लाभ नन्दराम पुत्र श्री पुराराम माली बाड़मेर वालों ने लिया। 

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