कलाकारों ने लोक संगीत और नृत्यों से बांधा समां 
जयपुर।
नई दिल्ली के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र मे ंचल रहे राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव के छठे दिन शुक्रवार शाम पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर (राजस्थान) के कलाकारों ने भारत के पश्चिमी राज्यों की लोक संगीत और नृत्यों की सुरीली भेंट पेश कर समा बांधा। सांस्कृतिक संध्या का केन्द्रीय रक्षामंत्री मनोहर पार्रीकर ने दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया। कार्यक्रम की शरुआत में जैसलमेर ,जोधपुर और बाड़मेर के पेशेवर लंगा और मांगनियार गायकों ने अपनी विशिष्ट शैली में 'गोरबंदÓ और 'नींबुड़ाÓ गीत सुना कर माहौल को सुरीला बना दिया। राजस्थान के प्रसिद्घ कालबेलिया नृत्य में जोगी समुदाय की नृत्यांगनाओं ने पारंपरिक परिधान में बीन के सुरीले संगीत पर अपने अप्रतिम शारीरिक लौच का प्रर्दशन किया।
सांस्कृतिक संध्या में बाड़मेर से आए युवा कलाकारों ने लाल रंग के लंबे बागे(चोगे) पहन कर ढ़ोल की ढमकार और थाली टनकार के साथ डांडिया गेर पेश कर समा बांध दिया। राजस्थान के मेवात अंचल में रहने वाले मुस्लिम जोगियों ने अपने विलक्षण वाद्य भपंग को बजाते हुए प्रसिद्घ मेवाती लोक गीत 'टर्रÓ सुनाकर वाहवाही लूटी। गोवा से आईं महिला कलाकारों ने सुंदर देखनी नृत्य द्वारा भारतीय और पश्चिमी संस्कृति के शानदार संगम को प्रदॢशत किया। पुरुष कलाकारों ने गोवा के पारंपरिक शिगमो उत्सव पर किए जाने वाले 'घोड़े मोडनीÓ नृत्य में घोड़े के ढांचे कंधे पर टांग कर हाथ में तलवार लिए वीर योद्घाओं के $जोर शोर के साथ जानदार नृत्य किया।
अफ्रीका से लगभग 750 वर्ष पहले आए सीदी गुजरात में बस गए हैं। भरूच (गुजरात) के सिदी कलाकारों ने अपने आराध्य बाबा गौर के र्उस पर उनकी आराधना में किए जाने वाले धमाल नृत्य को बड़े मस्त अंदाज में पेश किया। उन्होने नारियल को हवा में उछाल कर सिर से फोड़ कर र्दशकों की तालियाँ बटोरी।
''झंकारÓÓ वाद्य वृंद में पश्चिमी राज्यों के लोक वाद्यों का सुरीला समागम देखने को मिला। राजस्थान से ढ़ोल,नगाड़ा ,ढोलक,भपंग ,घड़ा, बीन ,मुरली,मोरचंग,सतारा, खडताल, मशक ,कामयचा और सिंधी सारंगी तथा गोवा से घुमट, कासालें और ताशा, महाराष्ट्र से ढोलकी,संबल,तुनतुने और दिमड़ी तथा गुजरात के वाद्य मुगरमान ,मुसेंडो ,दमामा और माई मिसरा आदि वाद्यों पर कलाकारों ने उम्दा प्रस्तुति दे कर र्दशकों को झूमने को मजबूर कर दिया। 'झंकारÓ का र्निदेशन पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक मोहम्मद फुरकन खान ने र्कायक्रम अधिकारी तनेराज सिंह सोढा की सहायता से किया था।

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें

 
HAFTE KI BAAT © 2013-14. All Rights Reserved.
Top